scriptPitru Paksha: मीरजापुर में इस जगह भगवान राम ने किया था दशरथजी का श्राद्ध, आइये जानें महत्व | Pitru Paksha Lord Ram performed Shraddha of Dashrathji at this place in Mirzapur let's know its importance on matri navami | Patrika News
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Pitru Paksha: मीरजापुर में इस जगह भगवान राम ने किया था दशरथजी का श्राद्ध, आइये जानें महत्व

Pitru Paksha पितृ पक्ष चल रहा है, यह पखवाड़ा पितरों का है। इस पखवाड़े में तिथि पर समस्त पितर की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं हिंदुओं के आराध्य भगवान राम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध कहां किया था..

Oct 07, 2023 / 01:30 pm

Pravin Pandey

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भगवान राम का मीरजापुर से रिश्ता

मीरजापुर के राम गया में हुआ था दशरथ का श्राद्ध
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गुरु वशिष्ठ के आदेश पर पिता दशरथ और अन्य पितरों की मोक्ष कामना से गया जाते वक्त भगवान राम ने मीरजापुर में विंध्याचाल धाम से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित शिवपुर गांव में कर्णावती नदी संगम पर( गंगा घाट) पर श्राद्ध किया था। इसीलिए इस घाट को राम गया घाट और छोटा गया कहते हैं। मान्यता है कि यहां पितरों का श्राद्ध करने से महान पुण्य फल मिलता है। यह पितरों के मोक्ष की कामनास्थली मानी जाती है।

गया से पहले यहां पिंडदान
मीरजापुर के रामगया घाट (श्राद्ध कर्म घाट) से जुड़े कई रहस्य हैं। यह घाट मोक्षदायिनी गंगा और विन्ध्य पर्वत का संधि स्थल भी है। यहां गंगा विन्ध्य पर्वत को सतत स्पर्श करती हैं। मान्यता के अनुसार लोग गया जाने से पूर्व यहां भी पिंडदान करते हैं। मान्यता यह भी है कि भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ की सलाह पर पिता राजा दशरथ को मृत्यु लोक से स्वर्ग प्राप्ति के लिए गया के फल्गू नदी पर पिंडदान के लिए अयोध्या से प्रस्थान किया तो पहला पिंडदान सरयू, दूसरा पिंडदान प्रयाग के भरद्वाज आश्रम, तीसरा विन्ध्यधाम स्थित रामगया घाट, चौथा पिंडदान काशी के पिशाचमोचन को पार कर गया में किया। रामगया घाट पर श्राद्ध करने के बाद भगवान श्री राम ने यहां पर शिवलिंग स्थापित किया, जिसे रामेश्वरम महादेव के नाम से जाना जाता है।
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सीता कुंड में महिलाएं करती हैं श्राद्ध
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार राम गया घाट से कुछ दूरी पर अष्टभुजा मंदिर के पश्चिम दिशा की ओर कालीखोह में माता सीता ने कुंड खुदवाया था। यहां मातृ नवमी पर महिलाएं श्राद्ध करती हैं। कहा जाता है कि सीताकुंड में स्नान मात्र से मनुष्यों के पापों का नाश हो जाता है। कुंड के समीप ही सीताजी ने भगवान शिव की प्रतिमा की स्थापना की थी, जिस कारण इस मंदिर को सीतेश्‍वर महादेव मंदिर नाम से भी जाना जाता है। सीता कुंड के पश्चिम दिशा की तरफ भगवान श्रीराम चंद्र ने भी एक कुंड खोदा था, जिसे राम कुंड के नाम से जाना जाता है। वहीं शिवपुर में लक्ष्मणजी ने रामेश्‍वर ***** के समीप शिवलिंग की
माता सीता ने बनाई अपनी रसोई
विंध्याचल धाम से तीन किमी दूरी पर अष्टभुजा के पश्चिम भाग में थोड़ी दूरी पर सीता कुंड के पास ही माता ने रसोई भी बनाई थी। जल की आवश्यकता पड़ने पर भगवान श्रीराम ने तीर मारकर पानी का स्रोत निकाला था, जिसके बाद से यहां सदैव जल भरा रहता है।

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