script‘प्राणिक हीलिंग’ और ‘रेकी’ से ठीक हो सकते हैं कठिन से कठिन रोग, ऐसे करती हैं काम | Pranic Healing and Reiki can cure diseases | Patrika News
धर्म और अध्यात्म

‘प्राणिक हीलिंग’ और ‘रेकी’ से ठीक हो सकते हैं कठिन से कठिन रोग, ऐसे करती हैं काम

प्राचीन भारतीय जगत में कई ऐसी विद्याएं थी जो बिना दवाईयों के ही मनुष्य को सही कर देती थी।

Dec 05, 2017 / 03:54 pm

सुनील शर्मा

girl in meditation, pranic healing

girl meditation reiki healing

प्राचीन भारतीय जगत में कई ऐसी विद्याएं थी जो बिना दवाईयों के ही मनुष्य को सही कर देती थी। इनमें प्राण ऊर्जा की प्रमुखता थी, इन विद्याओं को समग्रित रूप से प्राणिक हीलिंग का नाम दिया गया। वर्तमान में कुछ लोग इसे रेकी के नाम से भी जानते हैं। इस विद्या के अन्तर्गत ऊर्जा को आधार बनाते हुए पीड़ित (बीमार) व्यक्ति के शरीर की नकारात्मक ऊर्जा तथा बीमारी पैदा करने वाले कारकों को दूर किया जाता है और रोग लाभ दिलाया जाता है।
प्राणिक हीलिंग का आधार व्यक्ति के आस-पास के औरा को माना जाता है। महापुरुषों के चित्र के सिर के आस-पास स्वर्ण आभा होती है, इसे औरा भी कहते हैं। उनके शरीर के चारों ओर दिव्य श्वेत रोशनी को प्राणमय कोश भी कहा गया है। सनातन क्रिया में कुछ ऐसी तकनीकों का उल्लेख है, जिनके द्वारा हम इस सूक्ष्म कोश में प्रवेश कर किसी भी असंतुलन को सूक्ष्म स्तर पर हटा सकते हैं।
रोग के मूल कारण में परिवर्तन
ऋषि अंगिरस ने आध्यात्मिक चिकित्सा का वर्णन अथर्ववेद में ‘प्राणिक हीलिंग’ के अंतर्गत विस्तारपूर्वक किया है। आध्यात्मिक चिकित्सा का प्रभाव अविलंब होता है। इस चिकित्सा प्रणाली में उपचार रंगों के माध्यम से किया जाता है। इस सृष्टि में विभिन्न रंग हैं और प्रत्येक रंग के अनगिनत भेद हैं। इनमें से कुछ सुखद अनुभूति कराते हैं तो कुछ निराशा के प्रतीक हैं।
इसी तरह भिन्न-भिन्न रंग प्रेम, दिव्यता, सत्ता, क्रोध इत्यादि के भी प्रतीक हैं। प्रत्येक रंग दूसरे से भिन्न है इसलिए शरीर पर प्रत्येक का प्रभाव भी दूसरे से भिन्न होता है। इन रंगों के प्रयोग से एक अध्यात्मिक चिकित्सक रोगी के सूक्ष्म कोशों में प्रवेश कर रोग के मूल कारण में परिवर्तन करता है।
‘औरा’ है वास्तविकता में प्राणकोश
हमने महापुरुषों के चित्र देखे होंगे, उनके सिर के आस-पास स्वर्ण आभा नजर आती है। उनके स्थूल शरीर के चारों ओर दिव्य श्वेत रोशनी। यही होता है प्राणमय कोश, जिसका आपने अभी अभी अनुभव किया है। आपके स्थूल शरीर का नियंत्रण, प्रत्येक क्षण, इसी सूक्ष्म प्राणमय कोश द्वारा होता है। सनातन क्रिया में कुछ ऐसी तकनीकों का उल्लेख है, जिनके द्वारा हम इस सूक्ष्म कोश में प्रवेश कर किसी भी असंतुलन को सूक्ष्म स्तर पर हटा सकते हैं, स्थूल शरीर में उस रोग के लक्षण प्रकट होने से पूर्व।
यह एक अत्यंत शक्तिशाली विज्ञान है। एक आध्यात्मिक चिकित्सक को इस विज्ञान का प्रयोग करने से पूर्व ध्यान एव? योग ?? की कुछ क्रियाओं का नियमित अभ्यास कर स्वयं को चेतना के एक स्तर पर लाना होता है। साथ ही सदैव यह ध्यान रखना होता है कि इस चिकित्सा का प्रयोग गुरु कृपा से ही संभव है। इसके अतिरिक्त शुद्धिकरण और अनुशासन का पालन करना आवश्यक होता है। किसी भी एक की अवहेलना आध्यात्मिक चिकित्सक को क्षति पहुंचा सकती है।

Home / Astrology and Spirituality / Religion and Spirituality / ‘प्राणिक हीलिंग’ और ‘रेकी’ से ठीक हो सकते हैं कठिन से कठिन रोग, ऐसे करती हैं काम

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो