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शारदीय नवरात्रि 2020 का आज चौथा दिन :20 अक्टूबर, मंगलवार को मां कूष्माण्डा देंगी आपको ये खास वरदान

locationभोपालPublished: Oct 20, 2020 01:23:14 am

मां कूष्माण्डा की इस तरह करें पूजा, पढ़ें आरती और मंत्र…

shardiya Navratri : 20 October 2020 Tuesday the 4th day

shardiya Navratri : 20 October 2020 Tuesday the 4th day

17 अक्टूबर 2020 से शुरु हुई शारदीय नवरात्रि 2020 का आज यानि 20 अक्टूबर,2020 मंगलवार को चौथा दिन है, इस दिन कूष्माण्डा माता की पूजा की जाती है। कूष्माण्डा संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ- कू मतलब छोटा/सूक्ष्म, ऊष्मा मतलब ऊर्जा और अण्डा मतलब अण्डा है। मान्यता है कि जब इस सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब इन्हीं ने ब्रह्मांड की रचना की थी। यह सृष्टि की आदि-स्वरूपा हैं। मां कुष्माण्डा के शरीर में कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान है। इनके प्रकाश से ही दसों दिशाएं उज्जवलित हैं।

देवी के कूष्माण्डा रूप की पूजा से भक्तों को धन-वैभव और सुख-शांति मिलती है। आज शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। अपनी मंद हंसी से ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है। संस्कृत भाषा में कुष्मांडा कुम्हड़े को कहा जाता है और कुम्हड़े की बलि इन्हें बहुत प्रिय है। माता का वाहन सिंह है।

माता कूष्माण्डा का स्वरूप
माँ कूष्माण्डा की 8 भुजाएं हैं जो चक्र, गदा, धनुष, तीर, अमृत कलश, कमण्डलु और कमल से सुशोभित हैं। वहीं आठवें हाथ में जप की माला है। माता शेर की सवारी करती हैं।

पौराणिक मान्यता
जब चारों ओर अंधेरा फैला हुआ था, कोई ब्रह्माण्ड नहीं था, तब देवी कूष्माण्डा ने मंद-मंद मुस्कुराते हुए सृष्टि की उत्पति की। देवी का यह रूप ऐसा है जो सूर्य के अंदर भी निवास कर सकता है। यह रूप सूर्य के समान चमकने वाला भी है। ब्राह्माण्ड की रचना करने के बाद देवी ने त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) और त्रिदेवी (काली, लक्ष्मी और सरस्वती) को उत्पन्न किया। देवी का यही रूप इस पूरे ब्रह्माण्ड की रचना करने वाला है।

ज्योतिष में मां कूष्माण्डा

कूष्माण्डा मां सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं। अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।

मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की विधि…
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार आज के दिन ‘ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥’ या ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नम:।’मंत्र की एक माला, यानी 108 बार जाप जरूर करना चाहिए। इससे उचित फल प्राप्त होंगे। ज्ञात हो कि नवरात्र में हर दिन ही देवी मां को कुछ न कुछ भेंट करने का विधान है। चतुर्थी यानी आज के दिन देवी को मधुपर्क, यानी शहद, मस्तक पर तिलक लगाने के लिए चांदी का एक टुकड़ा और आंख में लगाने का अंजन, यानि काजल दिया जाता है। ऐसा करने से देवी मां अपने भक्तों से प्रसन्न रहती हैं।

मां कुष्मांडा को लगाएं ये भोग
माता को इस दिन मालपुआ का प्रसाद चढ़ाने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही आज के दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन व वस्त्र भेट करने से धन की वृद्धि होती है।

ऐसे करें मां कुष्मांडा की पूजा
दुर्गा पूजा के चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करना चाहिए। फिर मन को अनहत चक्र में स्थापित करने के लिए मां का आशीर्वाद लेना चाहिए। सबसे पहले सभी कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करें फिर मां कूष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लेकर मां को प्रणाम कर ‘सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु’ मंत्र का ध्यान करें।

 

मंत्र
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

प्रार्थना मंत्र
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

स्तुति
या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
भास्वर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कोमलाङ्गी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

स्त्रोत
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

कवच मंत्र
हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।
हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥
कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,
पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।
दिग्विदिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजम् सर्वदावतु॥

मां कूष्मांडा की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी।।
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली। शाकम्बरी मां भोली भाली।।
लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे।।
भीमा पर्वत है डेरा। स्वीकारो प्रणाम मेरा।।
सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुंचाती हो मां अम्बे।।
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दे मेरी आशा।
मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी।।
तेरे दर पे किया है डेरी। दूर करो मां संकट मेरा।।
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो।।
तेरा दास तुझी को ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए।।

मान्यता है कि मां कूष्मांडा के पूजन से व्यक्ति के सारे दुख मिटते हैं और उसे कठिनाईयों से लड़ने का संबल मिलता है। सच्चे मन से मां का ध्यान करने वालों की सभी मुरादें पूरी होती हैं। साथ ही स्वास्थ, धन और हल में वृद्धि होती है।

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