नई दिल्ली। दिनांक 09/03/2018 यानि कि आज शीतला अष्टमी है इसे बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। शीतला अष्टमी का पालन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष को किया जाता है और इस बार ये 09 मार्च को पड़ा है। चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार ये त्योहार 9 मार्च 2018 को यानि कि आज है। इस दिन का अपना विशेष महत्व है।
इस पर्व में चूल्हा न जलाने की परंपरा का पालन किया जाता है और इसलिए शीतला अष्टमी के एकदिन पहले ही खाना बनाकर रख दिया जाता है और बसौड़ा के दिन इसी बासी भोजन का सेवन किया जाता है।
शीतला माता का स्वरूप अत्यन्त शीतल और रोगो का निवारण करने वाला है। मां शीतला के हाथ में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते हैं। बता दें सबसे पहले स्कन्दपुराण में शीतला माता के बारे में जानने को मिला था।
शीतला अष्टमी के पर्व पर मां को बासी भोग लगाने और स्वयं बासी भोजन करने का ही चलन है। कहा जाता है कि आप केवल इसी दिन आखिरीबार बासी खाना खा सकते हैं क्योंकि इसके बाद यानि कि शीतला अष्टमी के बाद बासी खाने के सेवन पर रोक लगा देना चाहिए, क्योंकि इसके बाद गर्मी की ऋतू आ जाती है और इस समय बासी खाने से तरह-तरह की बीमारियों और फूड प्वाईज़निंग का खतरा बना रहता है।
शीतला अष्टमी का ये पर्व ग्रीष्म काल के शुरूआत में ही पड़ता है, ऐसे में इस त्यौहार के माध्यम से लोगों को इस विषय में जागरूक किया जाता है कि गर्मी में किन चीजों का प्रयोग करना चाहिए और किन चीज़ों के प्रयोग से बचना चाहिए।
शीतला मां के हाथों में उपस्थित नीम के पत्तों से हमें ये संदेश मिलता है कि एंटीबायोटिक गुणों से युक्त नीम का प्रयोग गर्मी भर अवश्य रूप से करना चाहिए। इस पूजा के पालन में स्वच्छता का ध्यान का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए और यदि किसी के घर में चेचक की बीमारी हो तो उनके घर में शीतला अष्टमी का पालन नहीं किया जाना चाहिए।
आज शीतला अष्टमी की पूजा का शुभ मुहुर्त सुबह 6:41 मिनट से लेकर शाम के 6:21 मिनट तक है।