इसलिए होता है पूजा में मौली, तिलक, नारियल तथा कर्पूर का प्रयोग
हिन्दूओं में पूजा करते समय हम देखते हैं कि कुछ मान्यताओं का अनिवार्य रूप
से पालन किया जाता है यथा मौली बांधना, तिलक लगाना, नारियल फोडऩा…
how to worship god hindu puja thali
प्रायः हिन्दूओं में पूजा करते समय हम देखते हैं कि कुछ मान्यताओं का अनिवार्य रूप से पालन किया जाता है यथा मौली बांधना, तिलक लगाना, नारियल फोडऩा आदि। इन सभी का पूजा में प्रतीकात्मक महत्व है, जिन्हें हम सभी को जानना चाहिए।
धार्मिक कार्यों में मौली बांधना
शास्त्रों के अनुसार मौली बांधने से त्रिदेव-ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश और तीन देवियों-लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति व विष्णु की अनुकंपा से रक्षा बल मिलता है। शिव दुर्गुणों के विनाशक हैं। इसी प्रकार लक्ष्मी से धन, दुर्गा से शक्ति व सरस्वती की कृपा से बुद्धि मिलती है। मौली बांधने की प्रथा तब से है जब दानवीर राजा बलि के लिए माता लक्ष्मी ने उनकी कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था।
पूजा में कर्पूर का महत्त्व
मान्यता है कि कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है। कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ है। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार इसकी सुगंध से जीवाणु और विषाणु आदि बीमारी फैलाने वाले जीव नष्ट होते हैं जिससे वातावरण शुद्ध होकर रोगों का भय नहीं रहता। इसलिए धार्मिक कार्यों में कर्पूर का विशेष महत्त्व बताया गया है।
माथे पर क्यों लगाते हैं तिलक
ललाट पर दोनों आंखों के बीच आज्ञाचक्र (या तीसरी आंख) का स्थान माना जाता है। सामान्य तौर पर यह निष्क्रिय ही रहता है। व्यक्ति में अतीन्द्रिय ज्ञान, असाधारण क्षमताएं सभी का नियंत्रण इसी चक्र से होता है। इसी को सक्रिय करने के लिए हिन्दुओं में तिलक लगाया जाता है। सुहागिन स्त्रियां इस स्थान पर बिंदी लगाती हैं।
धूप, अगरबत्ती जलाना
धूप विशेष औषधियों तथा जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाई जाती हैं। इससे इसमें औषधियों के गुण आ जाते हैं। इसी कारण जहां भी धूप जलाई जाती है वहां आस-पास के माहौल में मक्खी, मच्छर, पिस्सू तथा अन्य किसी भी तरह के बैक्टीरिया का नाश होता है।
नारियल फोडना
पुराणों तथा स्मृतियों के अनुसार ऋषि विश्वामित्र ने एक बार इन्द्र से नाराज होकर दूसरे स्वर्ग की रचना करने की ठान ली परन्तु वह दूसरे स्वर्ग की रचना से असंतुष्ट थे। अत: पूरी सृष्टि ही दूसरी बनाने लगे। दूसरी सृष्टि बनाने के क्रम में उन्होंने मानव के प्रतीक के रूप में नारियल बनाया। इसी कारण से नारियल के खोल पर बाहर से दो आंखें तथा एक मुख की सी संरचना दिखाई पड़ती है। पूजा में नारियल फोडऩे का अर्थ भी यही है व्यक्ति ने स्वयं को अपने इष्ट देवता के चरणों में समर्पित कर दिया है। अब उसने अपने आपको भगवान को समर्पित कर दिया है, उसका स्वयं का कोई भी किसी भी तरह का अस्तित्व नहीं रहा है।
Home / Astrology and Spirituality / Religion and Spirituality / इसलिए होता है पूजा में मौली, तिलक, नारियल तथा कर्पूर का प्रयोग