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Achala Saptami: अचला सप्तमी (सूर्य सप्तमी) की पूजा विधि के साथ ही जानें महत्व

इस दिन सूर्यदेव की आराधना का मिलता है अक्षय फल…

भोपालFeb 04, 2021 / 02:37 pm

दीपेश तिवारी

Achala Saptami 2021 Auspicious date and time

Achala Saptami 2021 Auspicious date and time

माघ माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी मनाई जाती है। यह सभी सप्तमी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाती है। अचला सप्तमी का हिंदू धर्म में खास महत्व भी है। इसे सूर्य सप्तमी,रथ सप्तमी व अरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।

इस साल यह अचला सप्तमी 19 फरवरी 2021 दिन बुधवार को मनाई जाएगी। यह तिथि भगवान सूर्य नारायण को समर्पित की जाती है।

अचला सप्तमी मुहूर्त 2021 (Achala Saptami Shubh Muhurat)

अचला सप्तमी शुक्रवार, फरवरी 19, 2021 को
सप्तमी तिथि प्रारम्भ – फरवरी 18, 2021 को 08:17 बजे
सप्तमी तिथि समाप्त – फरवरी 19, 2021को 10:58 बजे

माना जाता है कि यदि यह तिथि रविवार को पड़ती है तो इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। रविवार के दिन माघ शुक्ल सप्तमी पड़ती है, तो उसे अचला भानू सप्तमी कहा जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि को सूर्य ने सबसे पहले विश्व को प्रकाशित किया था। इस कारण इसे इसे सूर्य जयंती के नाम से भी जानते हैं।

अचला सप्तमी के दिन आरोग्य और प्रकाश के देवता भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान सूर्य की पूजा करने से लोगों को आरोग्य, धन-संपदा और पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

अचला सप्तमी महत्व…
शास्त्रों और चिकित्सा पद्धति दोनों में सूर्य को आरोग्यदायक माना गया है। ऐसे में माना जाता है कि इस दिन सूर्यदेव की आराधना का अक्षय फल मिलता है. भगवान सूर्य, भक्तों को सुख-समृद्धि एवं अच्छी सेहत का वरदान देते हैं. इसलिए इसे आरोग्‍य सप्‍तमी भी कहा जाता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य की उपासना से शरीर के रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने और उगते सूर्य को जल देने का विधान है। मान्यता है कि सूर्य सप्तमी के दिन सूर्य की ओर मुख करके पूजा करने से चर्म रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है।

माना जाता है कि इस दिन सूर्य की उपासना करने से पिता-पुत्र के संबंध मजबूत होते हैं और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। जिस तरह से हर त्योहार या व्रत के पीछे कोई न कोई पौराणिक आधार अवश्य होता है उसी प्रकार से अचला सप्तमी मनाने के पीछे भी उल्लेख मिलता है।

अचला सप्तमी सूर्योदय समय और पूजा विधि…
सप्तमी के दिन अरुणोदय- सुबह 6 बजकर 32 मिनट
सप्तमी के दिन दिखने योग्य सूर्योदय- सुबह 6 बजकर 56 मिनट

अचला सप्तमी पूजा विधि (Achala Saptami Puja Vidhi)
सप्तमी की सुबह स्नान के पहले आक के सात पत्ते सिर पर रखें और सूर्य का ध्यान कर गन्ने से जल को हिला कर- ‘नमस्ते रुद्ररूपाय रसानां पतये नम:. वरुणाय नमस्तेऽस्तु’- पढ़ कर दीपक को बहा दें। स्नान के बाद सूर्य की अष्टदली प्रतिमा बना लें. उसमें शिव और पार्वती को स्थापित कर विधिपूर्वक पूजन करें। फिर तांबे के पात्र में चावल भर कर दान करें। जो लोग नदी में स्नान नहीं कर सकते, वे गंगा का स्मरण कर, गंगा जल डाल कर स्नान कर सकते हैं। सूर्यदेव को दीपदान जरूर करना चाहिए।

अचला सप्तमी (सूर्य सप्तमी) पौराणिक कथा…
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल और सौष्ठव पर बहुत अधिक अभिमान हो गया था। शाम्ब ने अपने इसी अभिमानवश होकर दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया। दुर्वासा ऋषि को शाम्ब की धृष्ठता के कारण क्रोध आ गया, जिसके पश्चात उन्होंने को शाम्ब को कुष्ठ हो जाने का श्राप दे दिया।
तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र शाम्ब से भगवान सूर्य नारायण की उपासना करने के लिए कहा। शाम्ब ने भगवान कृष्ण की आज्ञा मानकर सूर्य भगवान की आराधना करनी आरम्भ कर दी। जिसके फलस्वरूप सूर्य नारायण की कृपा से उन्हें अपने कुष्ठ रोग से मुक्ति प्राप्त हो गई। इसलिए सूर्य सप्तमी के दिन जो भी सूर्य भगवान की आराधना सच्चे हृदय से करता है उसे रोगों से मुक्ति प्राप्त होकर आरोग्य, पुत्र और धन की प्राप्ति होती है।
सूर्य देव का जन्मदिन…

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य देव का जन्मदिन माना जाता है। ऐसे में माघी सप्तमी को सूर्य जयंती के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन सूर्य की उपासना करने से लोगों को सभी रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। सूर्य देव की कृपा से भक्तों को आरोग्य का वरदान मिलता है, साथ ही धन-धान्य और पुत्र रत्न की प्राप्ति का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
रथ सप्तमी या अचला सप्तमी के दिन सभी लोगों को स्नान करना चाहिए और सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए। अचला सप्तमी के दिन चावल, तिल, दूर्वा, चंदन, फल आदि का दान करना श्रेयष्कर माना गया है। आज के दिन सूर्य देव को जल देना भी बहुत ही फलदायक माना गया है।

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