scriptसबसे पुरानी देवदासी के निधन के साथ ही इस प्रथा का अन्त | Devdasi traditions comes to an end with death of oldest devdasi in Puri's Jagannath temple | Patrika News
धर्म

सबसे पुरानी देवदासी के निधन के साथ ही इस प्रथा का अन्त

जगन्नाथ मंदिर की सबसे पुरानी देवदासी शशिमणि के
निधन के साथ ही इस मंदिर में देवदासी प्रथा का अंत हो गया

Mar 20, 2015 / 02:48 pm

सुनील शर्मा

पुरी। ओडिशा में पुरी स्थित प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर की सबसे पुरानी देवदासी शशिमणि के निधन के साथ ही इस मंदिर में देवदासी प्रथा का अंत हो गया। शशिमणि 92 वर्ष की थीं और पिछले कई महीनों से बीमार थीं। अन्य देवदासियों की तरह वह आजीवन अविवाहित रहीं और ब्र±मचर्य व्रत का पालन किया। शशिमणि मात्र 12 साल की छोटी सी उम्र में देवदासी बन गई थीं। अपने शुरूआती दिनों में वह रात में भगवान जगन्नाथ के सामने नृत्य करती थीं और मंदिर के अन्य उत्सवों में नृत्य करती थीं।

क्या है देवदासी परम्परा

देवदासी परम्परा के अनुसार किसी भी देवदासी को इस परम्परा को जीवित रखने के लिए एक नाबालिग लड़की को गोद लेकर उसे खुद ही नृत्य तथा भक्ति संगीत की शिक्षा- दीक्षा तब तक देनी होती है जब तक वह लड़की देवदासी न बन जाए। शशिमणि ने किसी भी बच्ची को गोद नहीं लिया जिसके कारण उनके साथ ही इस प्रथा का भी अंत हो गया।

यूं बीते अन्तिम दिन

अंतिम दिनों में उनका काम गीत गोविन्द का सस्वर पाठ करने तक सीमित रह गया था। वह रथयात्रा के दौरान गुंडिचा मंदिर से भगवान जगन्नाथ के लौटने पर मंदिर के पट बंद करती थीं। गुरूवार को स्वर्गद्वार घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।

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