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धर्म और अध्यात्म

कोरोना वायरस : घर में पढ़ें ये मंत्र नहीं आएगी नाकारात्मक ऊर्जा

14 अप्रैल तक लगभग खत्म हो जाएगा असर…

भोपालMar 31, 2020 / 03:28 pm

दीपेश तिवारी

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कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए विश्व भर में सोशल डिस्टेंस पर काम किया जा रहा है। वहीं भारत में 21 दिनों का लॉक डाउन होने के साथ ही कर्मचारियों से वर्क एट होम की बात कही गई है।

कर्मचारियों के वर्क एट होम के चलते जहां एक ओर कई लोग वेट गेन की सोच से परेशान है, वहीं ज्योतिष कोरोना संक्रमण को नाकारात्मक ऊर्जा से जोड़ कर देख रहे हैं।

ऐसे में जहां जानकार लोगों को इस लॉक डाउन के बीच घर में योगा की सलाह दे रहे हैं। वहीं ज्योतिष के जानकारों के अनुसार कोरोना जैसे वायरस एक तरह की नाकारात्मक ऊर्जा का ही परिणाम है, ऐसे में यदि हम घर पर हैं। तो वहां सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने का काम करना चाहिए। जिससे नाकारात्मक ऊर्जा हमारे घर या हमारी ओर न आ सके।

ये कर सकते हैं नाकारात्मक उर्जा दूर करने के लिए…
इस संबंध में पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि कहीं भी आने वाली परेशानी के पीछे एक मुख्य कारण निगेटिव एनर्जी भी होती है। ऐसे में यदि आपको घर पर ही रहने का समय मिला है, तो आपको अपने घरों से नाकारात्मक उर्जा को बाहर कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाना चाहिए।

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इसके तहत कुछ मंत्रों का जाप किया जा सकता है, जिससे एक ओर जहां आपका समय घर में आसानी से कट जाएगा, वहीं यह आपके घर की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने का भी कार्य करेंगे। इसके लिए हम ये खास तरीके अपना सकते हैं…
1. ये हैं अति विशेष मंत्र! देंगे राहत…
श्री मार्कण्डेय पुराण में श्री दुर्गासप्तशती में किसी भी बीमारी या महामारी का उपाय देवी के स्तुति तथा मंत्र द्वारा बताया गया है जो कि अत्यंत प्रभावकारी माने जाते हैं…
रोग नाश के लिए…
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥

महामारी नाश के लिए…
ऊँ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।

दरअसल मां दुर्गा की आराधना के लिए विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती पाठ किया जाता है। इसका पाठ शुभ की प्राप्ति, अनिष्ट का नाश व सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
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2. महामृत्युंजय मंत्र जाप करें: mahamrityunjay mantra
शिवपूजन में कई तरह के मंत्रों का जाप किया जाता है और कार्यसिद्धि के लिए इन मंत्रों की संख्या भी अलग होती है, लेकिन शिव शंभू को उनका एक मंत्र बहुत प्रिय है। और वह है महामृत्युंजय मंत्र। मान्यता के अनुसार यह एक ऐसा मंत्र है, जिसका जप करने से मनुष्य मौत पर भी विजय प्राप्त कर सकता है। शास्त्रों में अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग संख्याओं में मंत्र के जप का विधान है।
मंत्र : ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌॥

मान्यता: किस समस्या में इस मंत्र का कितने बार करें जाप…
– भय से छुटकारा पाने के लिए 1100 मंत्र का जप किया जाता है।
-रोगों से मुक्ति के लिए 11000 मंत्रों का जप किया जाता है।
-पुत्र की प्राप्ति के लिए, उन्नति के लिए, अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख की संख्या में मंत्र जप करना अनिवार्य है।
– यदि साधक पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह साधना करें, तो वांछित फल की प्राप्ति की प्रबल संभावना रहती है।
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3. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें
इन दिनों नवरात्र चल रहा है ऐसे में पंडित शर्मा के अनुसार नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना विशेष फलदायी होता है। इसमें लिखे मंत्र न केवल आपकी विभिन्न रोगों से रक्षा करते हैं, बल्कि दुर्गा सप्तशती का यह पाठ आपके लिए विशेष फलदायी भी सिद्ध होता है। इसके अलावा भी सालभर भक्तजन सप्तशती का पाठ कर देवी मां को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। वहीं जानकारों के अनुसार सप्ताह के हर दिन सप्तशती पाठ का अपना अलग महत्व है और वार के अनुसार इसका पाठ विभिन्न फल देने वाला कहा गया है।
महामारी से बचाव के लिए मंत्रों का सहारा लेने तक की सलाह दे रहे हैं। जिसके तहत बताया जा रहा है कि श्री दुर्गासप्तशती में महामारी व रोग नाश के लिए अलग अलग मंत्र दिए गए हैं। जिनके पाठ से इस महामारी पर काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
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कब से बदलेगा समय: 28 से शुरू हो चुका है जीत का अभियान…
दरअसल कई ज्योतिष के जानकारों के अनुसार कोरोना का आना ग्रहों की चाल का ही परिणाम है, ऐसे में जीवोत्पत्ति के कारक शुक्र के 28 मार्च को दोपहर बाद 3 बजकर 36 मिनट पर मेष राशि की यात्रा समाप्त करके अपनी स्वगृही राशि वृषभ में प्रवेश कर रहे हैं।
ऐसे होगी कोरोना से जीत!
अपनी राशि वृषभ में शुक्र 4 माह 3 तक की लंबी अवधि तक विद्यमान रहेंगे। इस राशि पर गोचर करते समय ये 13 मई को वक्री होंगे और पुनः 25 जून को मार्गी होकर 1 अगस्त की सुबह मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।
जानकारों के अनुसार सृष्टि में शुक्र को जीवाश्म का कारक माना जाता है। वह जीवाश्म चाहे अणु से भी छोटा हो या बड़े से बड़ा ही क्यों न हो। तरह तरह के वायरस में भी शुक्र के ही प्रभाव देखे जाते हैं। स्वतंत्र भारत की जन्म लग्न वृषभ में शुक्र का आना और मालव्य जैसे योगों का निर्माण करना देश के लिए अच्छा संकेत है।
ज्योतिष का आंकड़ा
भारत की प्रभाव राशि कर्क से लाभ स्थान में इनका गोचर करना भी भारत को अति आर्थिक क्षति ना होने पाए इसे रोकने में मदद करेगा। यदि देश की जनता केंद्र सरकार के बताए गए नियमों का पालन करती है तो अति शीघ्र भारतवर्ष में बढ़ रहे कोरोना जैसे महामारी के मरीजों पर विराम लग जाएगा और हम इस महामारी पर विजय प्राप्त करेंगे।
जानकारों का मानना है कि शुक्र 4 माह 3 तक की लंबी अवधि तक वृषभ राशि में विद्यमान रहेंगे। इस राशि पर गोचर करते समय ये 13 मई को वक्री होंगे और पुनः 25 जून को मार्गी होकर 1 अगस्त की सुबह मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।
वक्री-मार्गी अवस्था में इतनी अवधि तक अपने घर में शुक्र का गोचर करते रहना भारतवर्ष की जन्मकुंडली के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अब जबकि पूरा देश करोना वायरस के खौफ से कर्फ्यू से गुजर रहा है ऐसे में स्वतंत्र भारत की प्रभाव लग्न ‘वृषभ’ में इनका आना भारत वासियों के लिए राहत की खबर ला सकता है।
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ज्योतिष गणना : 14 अप्रैल तक लगभग खत्म हो जाएगा असर…
जानकारों की मानें तो इस साल 2020 में 13 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ ही मेष संक्रांति मनाई जाएगी। इसे विषपत संक्रांति या वैशाख संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। वैशाख को हिन्दू नववर्ष का दूसरा माह माना जाता है।
विष व रोगों का हो जाता है नाश
इस दिन स्नान का खास महत्व माना गया है, वहीं मान्यता के अनुसार इस दिन नीम के पानी से नहाना अति उत्तम माना जाता है, इस संबंध में पंडित सुनील शर्मा के मुताबिक हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन नीम के जल से स्नान करने से सभी प्रकार के रोगों का नाश हो जाता है। वहीं इस दिन स्नान द्वारा शरीर से विषाक्तता निकलने के चलते इसे विषपत संक्रांति भी कहते हैं।
एक ओर जहां पूरे देश में इस दिन को वैशाख संक्रांति या मेष संक्रांति के रूप में मनाया जाता है, वहीं देवभूमि उत्तरांचल में इस दिन को विषपत या विषुवत संक्रांति के रूप में मनाया जाता है, देवभूमि में मान्यता है कि इस दिन वहां मिलने वाली कहरू नाम घास, जिसमें कि नीम के समान औषधीय गुण होते हैं, उसे पानी में डाल कर स्नान करने से शरीर के सभी प्रकार के विष नष्ट हो जाते हैं या बाहर निकल जाते हैं।
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वहीं इस दिन अरिष्ट निवारण के लिए स्नान और दान का विशेष महत्व होने के साथ ही चांदी और अन्य सामग्री के दान का भी महत्व बताया जाता है।
वहीं धर्म के जानकारों के अनुसार इस समय कोरोना वायरस को देखते हुए इस पर्व का महत्व और अधिक बढ़ गया है।

कोरोना भी एक विष समान!
जानकारों की मानें तो कोरोना भी एक प्रकार का विष ही हमारे अंदर निर्मित करता है, अत: ऐसे में इस दिन का विशेष स्नान लोगों को काफी राहत दे सकता है। चूकिं इस स्नान को शरीर से विष निकालने वाला माना जाता है, ऐसे में 13 अप्रैल को स्नान इस बार कई तरह से महत्वपूर्ण हो गया है।
ज्योतिष के कई जानकार को यह तक कह रहे हैं कि 13 अप्रैल को नीम के पानी से स्नान के बाद लोगों को 14 अप्रैल के रूप में एक दिन और सोशल डिस्टेंस के लिए मिलेगा, ऐसे में जहां 13 अप्रैल को नीम के पानी का स्नान उन्हें राहत देगा, वहीं 14 अप्रैल को भी सोशल डिस्टेंस कोरोना को हराने के लिए बड़ा हथियार सिद्ध हो सकता है।

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