पद्म पुराण के अनुसार, माघ महीने में संगम तट पर कल्पवास का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि माघ महीने में प्रयागराज में संगम पर ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, रुद्र, आदित्य गमन करते हैं।
पुराणों के अनुसार, माघ मास के स्नान को नारायण की सिद्धि का सुगम मार्ग है। माघ में तिल, गुड़ व ऊनी वस्त्र दान करने से कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। साथ ही कानूनी विवादों में भी जीत हासिल होती है।
माघ महीने में बहते जल में सूर्योदय से पहले स्नान करना श्रेष्ठ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ मास में भगवान विष्णु के मधुसूदन स्वरूप का शास्त्र आदेश देते हैं। दरअसल, मधुसूदन भगवान कृष्ण का ही एक नाम है, जिन्होंने मधु नाम के रक्षण का वध किया था।
मान्यता के अनुसार, माघ महीने में भगवान श्रीकृष्ण की काले तिलों से पूजा करने से शनि ग्रह के कुप्रभावों से छुटकारा मिलता है। मान्यता है कि इस महीने में माता सरस्वती की काले तिलों से पूजा करने से राहु के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
बताया जाता है कि माघ महीने में काले तिलों से पितृ तर्पण करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।