Putrada Ekadashi 2021 today : जानें पुत्रदा एकादशी व्रत पर क्या करें और क्या न करें
एकादशी के दिन दान, स्नान और तप करने से पुण्य मिलता है...

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ये व्रत करने वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही नाम से भी विदित है कि ये व्रत संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करना उत्तम माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन दान, स्नान और तप करने से पुण्य मिलता है।
सनातन धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व होता है। वही इस बार 2021 में 24 जनवरी को यानि आज पुत्रदा एकादशी है। पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहते हैं। आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति के लिए अमोघ बताया गया है। साथ ही इस व्रत से संतान की समस्याओं का निवारण भी सरलता से हो जाता है। जानिए पुत्रदा एकादशी व्रत से जुड़ी वो खास बातें जिन्हें भूलकर भी आज के दिन नहीं करना चाहिए।

इस दिन क्या करें- do this
1. पुत्रदा एकादशी का व्रत निर्जला और फलाहारी या जलीय व्रत रखा जा सकता है।
2. पुत्रदा एकादशी व्रत नियम के अनुसार, निर्जला व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए।
3. पुत्रदा एकादशी व्रत रखने वाले सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए।
4. यदि आप संतान प्राप्ति की इच्छा को पूरा करने के लिए यह व्रत रखना चाहते हैं तो एकादशी व्रत के दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप और श्री नारायण की उपासना करनी चाहिए।
इस दिन भूलकर न करें ये काम- Do not
1. एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी चोरी नहीं करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन चोरी करने से 7 पीढ़ियों को उसका पाप लगता है।
2. इस दिन व्रती को भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए किसी भी व्यक्ति से बात करने के लिए कठोर शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस दिन क्रोध और झूठ बोलने से बचना चाहिए।
3 . पुत्रदा एकादशी व्रत में रात को सोना नहीं चाहिए। व्रती को पूरी रात भगवान विष्णु की भाक्ति,मंत्र जप और जागरण करना चाहिए।
4 . एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और शाम के समय सोना नहीं चाहिए।
5. पुत्रदा एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी जुआ नहीं खेलना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से व्यक्ति के वंश का नाश होता है।
6. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए व्रत के दौरान खान-पान और अपने व्यवहार में संयम के साथ सात्विकता भी बरतनी चाहिए।
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