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वट पूर्णिमा 2022: 13 या 14 जून कब रखा जाएगा वट पूर्णिमा का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Vat Purnima 2022: हिंदू धर्म में वट पूर्णिमा व्रत का एक विशेष महत्व होता है। इस दिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और संतान की सलामती के लिए व्रत रखकर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।

नई दिल्लीJun 12, 2022 / 12:43 pm

Tanya Paliwal

वट पूर्णिमा 2022: 13 या 14 जून कब रखा जाएगा वट पूर्णिमा का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Vat Purnima Vrat 2022 Date, Shubh Muhurat, Puja Vidhi And Significance: हिंदू धर्म में व्रत एवं त्योहारों की कमी नहीं है और हर त्योहार या व्रत का अपना एक महत्व और फल होता है। वहीं हिंदू कैलेंडर के अनुसार तिथियों में अमावस्या और पूर्णिमा का खास महत्व बताया गया है। ऐसे में हिंदू कैलेंडर के तीसरे महीने ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। वट पूर्णिमा व्रत के दिन महिलाएं अपने अपने पति की लंबी आयु और संतान की खुशहाली की कामना के लिए व्रत रखती हैं और वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। तो आइए जानते हैं कि इस साल 2022 में ज्येष्ठ मास में वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा और क्या है शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि…

कब रखा जाएगा वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत?
साल 2022 में पूर्णिमा तिथि 13 जून, सोमवार को दोपहर 01:42 बजे से शुरू होकर इसका समापन 14 जून, मंगलवार को सुबह 09:40 बजे पर होगा। इसलिए पंचाग के अनुसार उदयातिथि 14 जून को होने के कारण वट पूर्णिमा का व्रत 14 जून 2022 के दिन ही रखा जाएगा। साथ ही पूजन भी इसी दिन करना शुभ होगा।

वट पूर्णिमा पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक 14 जून को मंगलवार के दिन सुबह 09:40 बजे से 15 जून को बुधवार के दिन प्रातः 05:28 बजे के मध्य शुभ योग माना जा रहा है। ऐसे में वट पूर्णिमा पूजा का शुभ मुहूर्त 14 जून 2022 को ही है।

वट सावित्री पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि
इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। फिर श्रृंगार की वस्तुएं इकट्ठी करके वट वृक्ष की पूजा के लिए जाएं। इसके बाद बरगद के पेड़ के चारों ओर कलावा और कच्चा सूत लपेटें। तत्पश्चात जल चढ़ाकर हल्दी, कुमकुम लगाकर विधि विधान से पूजा करें। इसके बाद सावित्री और सत्यवान की कथा सुनें। फिर आरती करके मन में पति की दीर्घायु की प्रार्थना करें। वहीं पूजा के बाद सासू मां को बायना देने से सौभाग्यवती और पुत्रवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

वट पूर्णिमा व्रत का महत्व
मान्यता है कि वट यानी बरगद के पेड़ की आयु हजारों साल तक होती है। इसलिए महिलाएं वट सावित्री व्रत रखकर और बरगद के पेड़ की पूजा करके अपने पति और घर-परिवार की खुशहाली को सदा बनाए रखने की कामना करती हैं। वहीं पौराणिक कथा के अनुसार इसी पेड़ के नीचे तपस्या करके सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। वहीं हिंदू धर्म में माना जाता है कि बरगद के पेड़ पर त्रिदेवों यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है। इसलिए इस धार्मिक दृष्टि से बरगद के पेड़ को बहुत खास माना गया है।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)

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