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आज विकट संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा से सब विघ्न होंगे दूर, जानें पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि

Vikat Sankashti Chaturthi: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार विकट संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा विधि-विधान से करने वाले भक्तों को सुख-समृद्धि, सौभाग्य, बुद्धि आदि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

नई दिल्लीApr 19, 2022 / 10:21 am

Tanya Paliwal

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आज विकट संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा से सब विघ्न होंगे दूर, जानें पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि

वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करना बहुत फलदायी माना गया है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि वैशाख मास की इस चतुर्थी को जो भक्त सच्ची श्रद्धा और विधि से भगवान गणेश को पूछता है, विघ्नहर्ता उसकी सभी परेशानियों को दूर करते हैं। इस दिन गणपति की पूजा की बाद रात में चंद्र दर्शन करने और अर्घ्य देने का विधान है।

 

पूजा का शुभ मुहूर्त

विद्वानों के अनुसार आज संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा का शुभ समय 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक होगा। आज इसी शुभ मुहूर्त में पूजा या कोई अन्य मांगलिक कार्य करना शुभ फल प्रदान करेगा।

विकट संकष्टि चतुर्थी पूजा विधि

विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें। अपने कार्यों से निपटकर स्नान करें और फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद अपने घर के पूजा स्थल को साफ करके वहां एक चौकी रखें और उस पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की तस्वीर या मूर्ति को उस पर विराजित करें।

फिर हाथ में जल, फूल तथा अक्षत लेकर व्रत और पूजा का संकल्प लें। इसके पश्चात पूजा के शुभ मुहूर्त के दौरान ‘ओम गं गणपतये नमः’ मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान गणेश को रोली लगाकर अक्षत, लाल फूल, माला, दूर्वा (घास) चढ़ाएं और फल, मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।

फिर धूप, दीप, गंध आदि जलाकर गणेश चालीसा और चतुर्थी व्रत की कथा पढ़ें। तत्पश्चात पूजा के अंत में घी के दीपक और कपूर से भगवान गणेश की आरती करें।

 

व्रत विधि

जिन लोगों ने विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा है, वे लोग पूरे दिन फलाहार पर रहें और रात के समय चंद्रोदय होने के बाद चंद्रदेव को दूध, अक्षत, शक्कर के मिश्रण वाला जल अर्पित करें। फिर हाथ जोड़कर चंद्र देव से प्रार्थना करें। याद रहे कि चंद्रदेव को अर्घ्य दिए और पूजा किए बिना संकष्टी चतुर्थी का व्रत अधूरा माना जाता है। इसके बाद अन्न, फल और मिठाई, वस्त्र आदि के दान का महत्व है। फिर उसके पारण करके अपना व्रत पूरा करें।

आज चंद्रोदय का समय

विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन को बहुत शुभ माना जाता है। वहीं कृष्ण पक्ष का चंद्रमा देर से नजर आने के कारण इसके उदय होने का इंतजार थोड़ा लंबा होता है। विद्वानों के अनुसार आज संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय का समय रात 9 बजकर 50 मिनट पर माना जा रहा है। हालांकि देश के अलग-अलग हिस्सों में चंद्रोदय के समय में थोड़ा बहुत बदलाव संभव है।

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