रीवा

गांव के पांव : इस राजा का 200 साल पहले इस गांव में रुक गया था हाथियों का झुंड

जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर डढ़वा ग्राम पंचायत स्थित है। गांव के बुजुर्ग बद्री प्रसाद परौहा कहते हैं हमारी उम्र तो 65 साल की है। लेकिन, हमारे पूर्वजों ने बताया था कि डाढ़ डीह से इस गांव का नाम डढ़वा पड़ा है

रीवाOct 19, 2020 / 07:18 am

Rajesh Patel

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रीवा. जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर डढ़वा ग्राम पंचायत स्थित है। गांव के बुजुर्ग बद्री प्रसाद परौहा कहते हैं हमारी उम्र तो 65 साल की है। लेकिन, हमारे पूर्वजों ने बताया था कि डाढ़ डीह से इस गांव का नाम डढ़वा पड़ा है। इस गांव में 200 साल पहले राजा रघुराज सिंह के हाथियों का काफिला डढ़वा गांव के झिरिया में रुका। झिरिया के झरने में 10-12 बाल्टी पानी हुआ करता था। हाथियों ने सूढ़ लगाकर पानी पीना शुरू किया। लेकिन, झिरिया का पानी खत्म नहीं हुआ।
झरने का पानी हर समय बहता रहता है
झरने का पानी हर समय बहता रहता है। बद्री विशाल ने बताया कि यहां पर एक बोर है जो 24 घंटे ओवरफ्लो रहता है। बोर में न तो हैंडपंप है और न ही कोई अन्य संसाधन। लेकिन, बोर से हर समय दो इंच पानी रहता है। वर्तमान समय में यहां पर भगवान शिव व पार्वती का मंदिर है। मंदिर परिसर में एक धर्मशाला है जिसमें गरीबानंद का आश्रम बना हुआ है। अभी भी हवन कुंठ है। और जहां पर गरीबानंद महराज ध्यान करते थे वहां पर आज भी छह फीट का गड्डा बना हुआ है। इसके अलावा हनुमान जी का मंदिर है। पंचायत रेकार्ड के अनुसार वर्तमान समय में गांव की आबादी 3800 है। 1600 मतदाता हैं।
यूपी के कोडाण से आए और हो गए कोडरिया
गुढ़ तहसील के डढ़वा ग्राम पंचायत ब्राह्मण बाहुल्य है। तो यूपी के कोडाण से 100 साल पहले आए थे और यहां पर कोडरिया हो गए हैं। यहां पर करीब 50 फीसदी ब्राह्मण हैं। जबकि 30 फीसदी कोल आदिवासी हैं। 20 फीसदी में सभी जातियों के लोग रहते हैं।
डढ़वा धान का कटोरा
-डढ़वा गांव में सभी तरह की खेती होती है। यहां पर धान और गेहूं का मुख्य उत्पादन होता है। इस क्षेत्र का धान का कटोरा के नाम से डढ़वा जाना जाता है। यहां पर रामभोग नाम के धान का उत्पादन बहुत पहले हुआ करता था। वर्तमान में किसानों ने धान का बेहतर उत्पादन कर रहे हैं।
पड़ोस के गांव में पढऩे जाते थे आज दो स्कूल
रायपुर कर्चुलियान जनपद क्षेत्र के डढ़वा गांव में स्कूल नहीं था। पहले इस गांव के लडक़े पड़ोस के दूसारे दुआरी और गुढ़ यानी गांव से पांच किमी दूर पढऩे के लिए जाते थे। वर्तमान में दो स्कूल हैं। परौहा कहते हैं कि वर्तमान सरपंच लीला द्विवेदी हमारे जानकारी ऐसी महिला सरपंच है कि जिसने विकास के कई प्रयास किए और पूरे हो गए हैं। महिला सरपंच की घुंघट से बाहर नहीं निकली। लेकिन, पांच साल के भीतर विकास की कई ईंट रखी है।
गांव में 10 लडक़े देश की सुरक्षा में
गांव के शिवभजन ने बताया कि पहले यहां पर शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा नहीं था। वर्तमान समय में यहां के 10 लडक़े फौजी में हैं जो देश की सुरक्षा में लगे हैं। इतनी ही संख्या में रिटायर्ड हो गए हैं। गांव के रामसागर शर्मा हिंदी के जानकार हैं। इसके आला कई डॉक्टर व इंजीनियर भी हैं।
30 साल से गांव में हो रहा भंडारे का आयोजन
–गांव के बुजुर्ग बद्री विशाल ने बताया कि गांव में आपसी भाई चारे और ग्रामीणों के सहयोग से 30 साल से मलमास माह में एक माह तक भजन कीर्तन के साथ ही भंडारे का आयोजन हो रहा है।
जनता के सहयोग से कोशिश कर रही हूं
डढ़वा गांव की वर्तमान सरपंच लीला द्विवेदी कहती हैं कि गांव में झिरिया से हर समय धर्मनगरी तालाब में पानी भरा रहता है। जनता के सहयोग से हमने विकास की कोशिश की है। वर्तमान समय में दो स्कूल, दो आंगनबाड़ी, एक एकड़ का शांतिधाम बना है। इसके अलावा गांव में सडक़ों का निर्माण के निर्माण के साथ ही पेंशन आदि का लाभ दिलाया जा रहा है।
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