शुक्रवार को कई परिजन नाम बदलवाने का आवेदन लेकर पहुंचे तो उपअधीक्षक डॉ. अतुल सिंह ने परिजनों से जानकारी ली। पूछने पर किसी ने ज्योतिषी के कहने पर तो किसी ने रिश्तेदारों के सुझाने पर नाम बदलने की बात कही। जिसके बाद जन्म प्रमाण पत्र के कार्य में लगे बाबुओं को बुलाकर निर्देश दिया गया कि अब जन्म प्रमाण पत्र बनवाने आने वाले परिजनों की काउंसिलिंग की जाएगी।
यह सुनिश्चित किया जाए कि परिजन बच्चे का जो नाम लिखवा रहे हैं उसके लिए ज्योतिषी और रिश्तेदारों से राय ले ली है या नहीं। साथ ही परिजनों को यह भी बताया जाए कि अब ऑनलाइन जन्म प्रमाण पत्र बनते हैं, दोबारा नाम बदलवाने में कई प्रकार की परेशानियां हो सकती हैं। डॉ. अतुल सिंह ने कहा कि जन्म प्रमाण पत्र की उपयोगिता स्कूल में प्रवेश के वक्त होती है। यह महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। नाम बदलने की प्रक्रिया में जरा सी त्रुटि जीवन पर्यंत के लिए समस्या बन सकती है। उन्होंने कहा कि परिजनों की इस लापरवाही के चलते अस्पताल मेंं कार्य का भार बढ़ जाता है।
आवेदनों का लगा अंबार
आवेदनों का लगा अंबार
जन्म एवं मृत्यु पंजीयन कक्ष में बच्चे का नाम जन्म प्रमाण पत्र में बदलवाने के लिए औसतन हर महीने 30 से 35 आवेदन आ रहे हैं। बीते दस महीने के भीतर 300 आवेदन आ चुके हैं।
ये दस्तावेज हैं जरूरी
जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अस्पताल की छुट्टी का कागज, माता-पिता का आधार कार्ड, आवेदन पत्र बच्चे के नाम के साथ देना अनिवार्य है।
जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अस्पताल की छुट्टी का कागज, माता-पिता का आधार कार्ड, आवेदन पत्र बच्चे के नाम के साथ देना अनिवार्य है।