विश्वविद्यालय प्रशासन ने पूरे दो वर्ष बाद पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश के बावत नोटिफिकेशन जारी किया है। पाठ्यक्रम में प्रवेश को लेकर आयोजित की जाने वाली प्रवेश परीक्षा के लिए जारी गाइड लाइन में एलायड विषय शामिल नहीं हैं। यूजीसी की गाइड लाइन का हवाला देते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से एलायड विषयों को नोटिफिकेशन में शामिल नहीं किया गया है। नोटिफिकेशन में विषय शामिल नहीं होने से छात्र पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना तो दूर, प्रवेश परीक्षा में भी शामिल नहीं हो पाएंगे।
इस संबंध में विश्वविद्यालय के शोध संचालक प्रो. आरएन सिंह का कहना है कि यूजीसी की हाल ही में जारी गाइड लाइन में स्पष्ट किया गया है कि प्रोफेसर अब अपने मूल विषय के छात्रों को ही शोध करा सकेंगे। उन्हें एलायड विषय के छात्रों को शोध कराने की पात्रता नहीं होगी। विश्वविद्यालय व संबद्ध महाविद्यालयों में एलायड विषयों के शोध निर्देशक (प्रोफेसर) नहीं हैं। इसलिए उन्हें नोटिफिकेशन में शामिल नहीं किया गया है।
विश्वविद्यालय वर्तमान में बॉयोटेक, बॉयोकेमेस्ट्री, बॉयो इंफार्मेटिक्स व माइक्रो बायलॉजी जैसे कई दूसरे एलायड विषयों में 50 से ज्यादा छात्रों को पीएचडी करा रहा है। इन सभी छात्रों के शोध निर्देशक जुलॉजी व बॉटनी विषयों के प्रोफेसर हैं। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन आगे की प्रवेश प्रक्रिया के लिए इन एलायड विषयों के छात्रों के लिए जुलॉजी और बॉटनी विषय के प्रोफेसरों को योग्य नहीं मान रहा है।
प्रदेश के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में एलायड विषय के प्रोफेसर नहीं हैं। इस की वजह यह है कि पाठ्यक्रम की शुरुआत के बाद से विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में प्राध्यापकों की भर्ती ही नहीं की गई है। इस स्थिति में एलायड विषय के छात्र न केवल पीएचडी की पढ़ाई करने से वंचित होंगे बल्कि आने वाले दिनों में शुरू होने वाली भर्ती प्रक्रिया में भी शामिल नहीं हो पाएंगे।