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रीवा

दो दशक बाद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर्स की नियुक्ति की राह खुली, 57 पद खाली

– विश्वविद्यालय प्रशासन ने जारी किया आरक्षण रोस्टर- पूर्व में आरक्षित पदों पर अनारक्षित वर्ग के प्रोफेसर्स की हुई थी नियुक्तियां

रीवाSep 30, 2021 / 11:12 am

Mrigendra Singh

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apsu rewa, blank post of professor


रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में लंबे अंतराल के बाद प्रोफेसर्स की नियुक्ति की राह खुलने लगी है। बड़ी संख्या में पढ़ाने वालों के पद खाली हैं। पूर्व से जो कार्यरत रहे हैं वह भी अब धीरे-धीरे सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं। ऐसे में पूरी व्यवस्था अतिथि विद्वानों के सहारे चल रही है।
वर्तमान में 57 पद पढ़ाने वाले शिक्षकों के खाली हैं, इसके लिए सभी जाति वर्ग के लिए सीटें भी बताई गई हैं। अब करीब दो दशक के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने प्रोफेसर्स की सभी श्रेणियों के पदों को लेकर आरक्षण रोस्टर जारी किया गया है। जिसमें बताया गया है कि यहां पर कितने पद खाली हैं और कितने भरे गए हैं।
विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रमों में तो इजाफा होता गया। धीरे-धीरे नए कोर्स प्रारंभ होते रहे, जिसके चलते करीब आधा सैकड़ा की संख्या में स्ववित्तीय पाठ्यक्रमों के कोर्स संचालित हो रहे हैं। प्रोफेसर्स की कमी के चलते पठन-पाठन का कार्य प्रभावित हो रहा है। जिसकी वजह से सभी विभागों में बड़ी संख्या में अतिथि विद्वानों को रखा गया है। कुछ विभाग तो ऐसे हैं कि जहां पर एक या दो ही प्रोफेसर्स बचे हैं, पूरा विभाग अतिथि विद्वानों के हवाले हो गया है।
लगातार उठ रही मांगों के बीच अब विश्वविद्यालय प्रबंधन ने नियुक्तियों को लेकर प्रक्रिया आगे बढ़ाई है। अभी पहले चरण में आरक्षण रोस्टर जारी करते हुए रिक्त पद बताए गए हैं, इसके बाद आवश्यकता के अनुसार पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन भी जारी किए जाएंगे। रोस्टर आरक्षण में पिछड़ा वर्ग को १४ प्रतिशत के आरक्षण श्रेणी में रखा गया है।
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आरक्षित वर्गों में अनारक्षित वर्ग के लोगों की नियुक्तियां
विश्वविद्यालय प्रबंधन पर सवाल उठते रहे हैं कि यहां पर शासन द्वारा निर्धारित किए गए रोस्टर आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया जाता। राजभवन एवं शासन की ओर से कई बार जानकारियां भी विश्वविद्यालय प्रबंधन से तलब की जा चुकी हैं। अब जो नया रोस्टर आरक्षण जारी किया गया है उसमें भी बताया गया है कि कई प्रोफेसर पहले से ही आरक्षित वर्ग के पदों पर सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि पूर्व में जब संबंधित प्रोफेसर्स की नियुक्तियां हुई थी, उस दौरान यदि संबंधित आरक्षण वर्ग का व्यक्ति आवेदन करने नहीं आता तो अगली प्रक्रिया में उसे अनारक्षित मानकर नियुक्तियां की जा सकती हैं। इन्हीं नियमों के तहत कई प्रोफेसर्स अब भी सेवाएं दे रहे हैं। विश्वविद्यालय द्वारा किए गए रोस्टर आरक्षण में एसोसिएट प्रोफेसर में एनपी पाठक, विजय कुमार अग्रवाल, अंजली श्रीवास्तव, अजय सक्सेना, आरएन पटेल, शुभा तिवारी, नविता श्रीवास्तव आदि के नाम शामिल हैं।
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प्रोफेसर के सभी पद खाली
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के सभी पद खाली हैं। यहां पर 18 पद प्रोफेसर के लिए स्वीकृत हैं। पूर्व में प्रमोशन पाकर सेवाएं भी दे रहे थे लेकिन पदोन्नति की प्रक्रिया में तकनीकी खामियों की वजह से सभी को रिवर्ट करते हुए फिर एसोसिएट प्रोफेसर बना दिया गया है जबकि कई वरिष्ठ शिक्षक हैं जिन्हें प्रोफेसर का वेतनमान भी दिया जा रहा है। रोस्टर आरक्षण के मुताबिक अनारक्षित वर्ग के नौ, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के तीन-तीन और पिछड़ा वर्ग के तीन पद खाली हैं। इसमें व्यवसायिक अर्थशास्त्र, शारीरिक शिक्षा,पर्यावरण जीव विज्ञान, भौतिकी, रसायन, लाइफ लांग लर्निंग, प्राचीन भारतीय इतिहास, अर्थशास्त्र, गणित, मनोविज्ञान, जेएन सेंटर, अंग्रेजी, एमबीए, हिन्दी एवं रसियन भाषा आदि के विभाग शामिल हैं।
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विश्वविद्यालय में यह है पदों की स्थिति
1-प्रोफेसर– इस पद की संख्या 18 है, जिसमें सभी पद खाली बताए गए हैं। नौ अनारक्षित वर्ग के लिए हैं और शेष नौ पद क्रमश: अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए तीन-तीन पद रिक्त हैं।
2- एसोसिएट प्रोफेसर-– इसके लिए 23 पद विश्वविद्यालय में स्वीकृत हैं। जिसमें चार भरे हैं और 19 खाली हैं। इसमें 12 अनारक्षित, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के चार-चार और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए तीन पद स्वीकृत हैं।
3- असिस्टेंट प्रोफेसर-– विश्वविद्यालय में इसके 35 पद स्वीकृत हैं, जिसमें वर्तमान में 15 पद भरे हैं और 20 खाली हैं। अनारक्षित वर्ग के 18, अनुसूचित जाति के पांच और जनजाति के सात एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए पांच सीटें हैं।
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पूर्व में नियम विरुद्ध पदोन्नति के चलते होते रहे रिवर्ट
विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा कर्मचारी, अधिकारियों की नियुक्ति में नियमों की अनदेखी के कारण कई शिक्षकों को प्रमोशन के बाद रिवर्ट होना पड़ा है। पूर्व में प्रोफेसर बनाए गए सभी शिक्षकों को रिवर्ट किया गया था। हाल ही में सिस्टम इंचार्ज रहे पीके राय को भी रिवर्ट किया गया है। इन्हें प्रोफेसर मानकर वेतन बढ़ाया गया था। राजभवन ने माना है कि उक्त पद टेक्निकल से जुड़ा है, इसलिए शिक्षक नहीं माना जा सकता।
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