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शिक्षक और छात्र का चरित्र ही संस्था का गौरव बढ़ाता है : राज्यपाल

– विश्वविद्यालय का 54वां स्थापना दिवस समारोह कार्यक्रम आयोजित

रीवाJul 22, 2021 / 09:59 pm

Mrigendra Singh

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रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का 54वां स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया गया। इस बार कोरोना गाइडलाइन के चलते विश्वविद्यालय में कोई बड़ा आयोजन नहीं हुआ बल्कि वर्चुअल कार्यक्रम में ही विशिष्टि अतिथियों के साथ छात्र जुड़े। भोपाल से राज्यपाल मंगूभाई पटेल स्थापना दिवस कार्यक्रम में जुड़े, उन्होंने अपना संबोधित भी दिया। राज्यपाल ने कहा कि संस्थान के अतीत से वर्तमान तक की यात्रा की उपलब्धियों और भविष्य की चुनौतियों के चिन्तन और नए लक्ष्य बनाने का यह अवसर होता है। विद्यार्थी हमारे देश की सम्पत्ति हंै तथा देश को विकास के पथ पर ले जाने वाले भविष्य के राष्ट्र निर्माता हंै। इसलिए इनके साथ हमारा व्यवहार ऐसा होना चाहिए कि इनके मन में किसी भी तरह की कमी न रह जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान का गौरव तब बढ़ता है जब वहां के शिक्षकों और छात्रों का चरित्र शिक्षा के प्रति समर्पित हो।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने भी युवाओं के चरित्र निर्माण पर बल दिया था। वे ऐसी शिक्षा चाहते थे जिससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो। कुलाधिपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों को पढ़ाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना होना चाहिए। केवल नौकरी प्राप्त करना शिक्षा का प्रयोजन नहीं हो सकता। शिक्षा वैसी होनी चाहिए जो विद्यार्थियों को शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक रूप से विकसित करे। उन्होंने आगे कहा कि देश में एक सशक्त और समावेशी शिक्षा नीति लागू की गई है जिसमें आज तेजी से बदलती दुनिया के सभी पक्षों को शामिल किया गया है। अधिक से अधिक लोगों तक ज्ञान का प्रकाश पहुंचाना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए, जिसमें विश्वविद्यालयों की भूमिका अहम है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी, कुलपति पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय भटिंडा ने स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं देते हुए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. गोविन्द नारायण सिंह के प्रयासों से इस विश्वविद्यालय की स्थापना हो सकी। उन्होंने कहा कि यह अवसर आत्मावलोचन का होता है, जहां हम भूत, वर्तमान और भविष्य को एक साथ रखकर विचार करते हैं। उन्होंने नई शिक्षा नीति को भारत केन्द्रित और छात्र केन्द्रित बताते हुए कहा कि कोई भी शिक्षा प्रणाली तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक वह अपने राष्ट्र के तासीर के अनुरूप न हो और युवाओं में वैश्विक क्षमता का विकास न कर सके।
इसके पहले अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजकुमार आचार्य ने कहा कि सन् 1968 में स्थापित हमारा विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि आज नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति हम सबके सामने है और मैं ईमानदारी पूर्वक सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि विश्वविद्यालय के शैक्षणिक जगत को एवं उसकी कार्यशैली को नई शिक्षा नीति के अनुकूल बनाकर समाज के सामने एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे, जिसमें भारत में शिक्षा का प्रदुर्भाव हो।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती प्रतिमा पर माल्र्यापण और दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। ऋतु मिश्रा एवं गरिमा पाण्डेय द्वारा सरस्वती वंदना तथा कुलगीत प्रस्तुत किया गया। समारोह के संयोजक प्रो. सुनील तिवारी ने कुलपति एवं कुलसचिव का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया। प्रो. अतुल पाण्डेय, विभागाध्यक्ष, व्यावसायिक प्रशासन विभाग ने प्रो. सुनील तिवारी का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया।

प्रवेश विवरणिका का अनावरण
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रकाशनों शोध पत्रिका “विध्य भारती”, न्यूज लेटर “प्रतिबिम्ब” तथा सत्र 2021-22 की प्रवेश विवरणिका का अनावरण किया गया। विश्वविद्यालय के इन प्रकाशनों का संपादन प्रो. आरएन सिंह, प्रो. विजय अग्रवाल एवं प्रो. अतुल पाण्डेय द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कुलसचिव लालसाहब सिंह, प्रो. दिनेश कुशवाह ने भी अपनी बात रखी।
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समारोह की स्मृति में पौधरोपण

विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह की स्मृति में पौधरोपण का कार्यक्रम भी रखा गया। जहां पर कुलपति, कुलसचिव सहित विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने पौधरोपण कर परिसर को हराभरा बनाने का संकल्प लिया।

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