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रीवा

Lok Sabha Election 2019 : देश के इकलौते नेत्रहीन सांसद ने जब महाराजा और महारानी को लोकसभा चुनाव में हराया

अप्रत्याशित परिणामों के लिए जाना जाता है रीवा, प्रदेश में पहले बीएसपी के सांसद भीम सिंह पटेल ने रीवा से ही खोला था खाता

रीवाApr 06, 2019 / 01:03 pm

Mahesh Singh

Blindly MP Yamuna Prasad defeated Rewa Maharaja and maharanee

Blindly MP Yamuna Prasad defeated Rewa Maharaja and maharanee


रीवा. लोकसभा क्षेत्र रीवा से कई बार अप्रत्याशित परिणाम सामने आए हैं। अप्रत्याशित इसलिए भी कि महाराजा मार्तण्ड सिंह तीन बार संसद पहुंचे, तो वहीं पहले नेत्रहीन सांसद यमुना प्रसाद शास्त्री ने न केवल महाराजा मार्तण्ड सिंह बल्कि महारानी प्रवीण कुमारी को लोकसभा चुनाव हराया। वहीं प्रदेश के पहले बसपा सांसद भीम सिंह पटेल ने भी रीवा से ही खाता खोला था। उन्होंने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी को पराजित किया था।
लोकतंत्र की शायद यही सबसे बड़ी खूबसूरती है कि नेत्रों में रोशनी नहीं होने के बाद भी यमुना प्रसाद शास्त्री ने लोकसभा चुनाव एक नहीं बल्कि दो बार जीते। शास्त्री दुनिया को चाहे भले नहीं देख पाते थे, पर मन की आंखों से जो कल्पना की और सपने देखे वे दृष्टि वालों को भी मात दे देते हैं।
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महाराजा मार्तण्ड सिंह दो बार निर्दलीय और एक बार कांग्रेस से चुनाव जीते लेकिन उन्हें 1977 में नेत्रहीन रहे यमुना प्रसाद शास्त्री (भारतीय लोकदल) ने हराकर सबको चौंका दिया। इसके बाद 1989 में रीवा सीट से महारानी प्रवीण कुमारी सिंह को भी पराजित किया। जिससे महारानी सांसद बनते-बनते रह गईं।
दो बार सांसद रहे यमुना प्रसाद शास्त्री
नेत्रहीन यमुना प्रसाद शास्त्री दो बार सांसद रहे। 1977 के चुनाव में महाराजा मार्तण्ड सिंह को जहां 169941 मत मिले थे वहीं यमुना प्रसाद शास्त्री को 176634 वोट मिले। इसी प्रकार 1989 के चुनाव में जब शास्त्री ने महारानी को हराया था तो कुल मतदाता 1058090 थे जिनमें यमुना प्रसाद शास्त्री को 215420 मत मिले और महारानी प्रवीण कुमारी को 140664 वोट ही मिल पाए थे। इस प्रकार जनता के बीच के समाजवादी नेता ने किले की राजनीति को किनारे कर प्रजातंत्र की असली परिभाषा समाज के सामने रखी थी।
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1991 में बसपा ने चौकाया
सबसे अधिक चौकाने वाला परिणाम रीवा लोकसभा सीट पर 1991 में आया। जब पहली बार प्रदेश में बसपा सांसद के रूप में भीम सिंह पटेल को जीत हासिल हुई। पेशे से शिक्षक रहे भीम सिंह पटेल ने विंध्य के मूर्धन्य नेता श्रीनिवास तिवारी को पराजित कर यह उपलब्धि हासिल की। इसके बाद से बसपा ने यहां जड़ें जमा ली और कई चुनाव जीते। भाजपा को केवल तीन बार ही जीत हासिल हुई है। 2014 में भाजपा की ओर से जनार्दन मिश्रा मैदान में उतरे तो उनके सामने कांग्रेस से सुंदरलाल तिवारी और बसपा से सांसद रहे देवराज पटेल सामने थे। साधारण परिवार से निकले जनार्दन को कमजोर प्रत्याशी कहा जा रहा था लेकिन जनता ने उनकी सादगी को पसंद किया और 1.68 लाख वोटों से जीत दिलाई। अधिकांश चुनावों में त्रिकोणीय मुकाबला रहा है, कई बार चतुष्कोणीय मुकाबले की स्थिति बनी।
अब तक कौन कितने चुनाव जीता
1952 में रीवा लोकसभा सीट का गठन किया गया था। पहले सांसद के रूप में कांग्रेस के रामभान सिंह तिवारी चुने गए थे। 1952 से लेकर अभी तक में छह बार कांग्रेस, तीन बार भाजपा एवं तीन बार बसपा ने जीत हासिल की है। एक बार भारतीय लोकदल एवं जनता पार्टी से यमुना प्रसाद जीते थे। वहीं दो बार निर्दलीय के रूप में महाराजा मार्तण्ड सिंह निर्वाचित हुए थे। कांग्रेस 1999 के बाद चुनाव नहीं जीत पाई है। आसन्न चुनाव में कांग्रेस वापसी के लिए रणनीति बना रही हैं। तो वहीं भाजपा आठो विधानसभा सीटें जीतकर काफी उत्साहित है। जबकि बसपा भी पूरे दम-खम के साथ मैदान में है।

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