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विधानसभा सेमरिया : भाजपा में फूट का फायदा उठाने की तैयारी में बसपा व कांग्रेस

सांसद जर्नादन मिश्रा को विधानसभा में उतारने पर विचार कर रही है भाजपा

रीवाSep 07, 2018 / 04:37 pm

Mahesh Singh

BSP-Congress preparing to defeat BJP

BSP-Congress preparing to defeat BJP


रीवा. सेमरिया विधानसभा के गठन के साथ ही यहां भाजपा का कब्जा है। पहले अभय मिश्रा और फिर उनकी पत्नी नीलम चुनाव जीतीं। लेकिन अभय के कांग्रेस में जाने और नीलम मिश्रा का यह कहना कि चुनाव नहीं लडऩा है, भाजपा मुश्किल में है। यही वजह है कि भाजपा सांसद जर्नादन मिश्रा को मैदान में उतारने पर विचार कर रही है। वहीं कांगे्रस व बसपा, भारतीय जनता पार्टी की फूट का फायदा उठाने बेताब है। बसपा के पंकज पटेल 2013 के चुनाव में दूसरे नंबर थे। इस बार उनको पूरा भरोसा है कि जीत उनकी पार्टी के पाले में रहेगी। हालांकि कांग्रेस उनकी राह में जबर्दस्त रोड़ा है।

भाजपा के ये है दावेदार
* नीलम मिश्रा- वर्तमान विधायक, विकास कार्य का दावा।
* जनार्दन मिश्रा- वर्तमान सांसद, केपी त्रिपाठी- जनपद अध्यक्ष। संजय द्विवेदी- अध्यक्ष के बेटे।


कांग्रेस से इनका दावा मजबूत
* त्रियुगीनारायण शुक्ल- कांग्रेस जिलाध्यक्ष। कम मतों से हारे थे
* प्रदीप सोहगौरा – जनता में सक्रिय। सरोज सिंह, कुंवर सिंह, सत्यनारायण चतुर्वेदी।

ये भी रहेंगे मैदान में
बसपा से पंकज पटेल की जबर्दस्त भागीदारी है। पिछले चुनाव वे दूसरे नंबर पर थे और क्षेत्र में सक्रिय हैं। वहीं मुन्ना पाण्डेय भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। वे पूर्व बीएसपी नेता के परिवार से हैं। वहीं आम आदमी पार्टी से प्रमोद शर्मा उम्मीदवार घोषित हैं। निर्दलीयों में घनश्याम शुक्ला, प्रवीण त्रिपाठी, सुमन शुक्ला, अविनाश सोनी, अजीत पाण्डेय आदि भी अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर सकते हैं।

ये रहेंगे महत्वपूर्ण मुद्दे

सडक़ एवं सेमरिया नगर सहित क्षेत्र में पेयजल, सिंचाई संसाधन, अवैध खनिज उत्खनन पर रोक लगाने के साथ स्वास्थ्य सुविधा सुधारने एवं उनका विस्तार महत्वपूर्ण मुद्दे होंगे।


जातीय समीकरण
सेमरिया विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, कुर्मी, क्षत्रिय, आदिवासी, हरिजन, कुशवाहा वोटर ज्यादा हैं। साहू व अल्पसंख्यक भी हैं। माना जा रहा है कि जो एससीएसटी वोटों को साधेगा उसकी नैया पार होगी।

पार्टियों के लिए चुनौतियां
कांग्रेस को जहां जातीय समीकरण से पार पाना और अपने परंपरागत वोटों को रिझाना सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं भाजपा पार्टी में फूट, भितरघात, दस साल कार्यकाल ही चुनौती बना हुआ है। बसपा के लिए अपने ही वोटों को अपने साथ रखने की चुनौती है।

विधायक की परफॉर्मेंस
विधायक नीलम मिश्रा ने सडक़ों पर फोकस किया था, कुछ सडक़ें बनी हैं। लेकिन सबसे बड़ी समस्या पेयजल का निराकरण नहीं हुआ, जो समस्या बनेंगा।


2013 में ये रही स्थिति
नीलम मिश्रा विधायक को कुल 36173 मत मिले थे। साथ ही उनके निकतम प्रतिद्वंदी रहे बहुजन समाज पार्टी के पंकज पटेल को 30196 वौट प्राप्त हुए थे। तीसरे स्थान पर यहां कांग्रेस के त्रियुगीनारायण शुक्ल थे। बसपा इस बार अपना प्रदर्शन सुधारने पर फोकस करेगी।

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