कुछ दिन पहले ही निगम आयुक्त ने अधिकारियों की बैठक लेकर मामले में सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया था। पहले दिन तो अमला सक्रिय नजर आया। शिल्पी प्लाजा के पास पड़ी निर्माण सामग्री को निगम के अमले ने जब्त कर लिया। इतना ही नहीं व्यापारी पर 1500 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। इस कार्रवाई को निरंतर जारी रखने का भी निर्देश था, लेकिन उस पर सप्ताहभर के भीतर ही विराम लग गया है।
निर्माण सामग्री जब्त करने के साथ ही संबंधित स्थल पर नुक्कड़ सभा करने की भी तैयारी थी। जिसमें लोगों को यह बताया जाना था कि सड़क पर सामग्री नहीं फेंकें। पहले दिन नुक्कड़ सभा भी हुई थी लेकिन स्थानीय लोगों की इस पर रुचि नहीं होने के चलते नगर निगम द्वारा नियुक्त एनजीओ के कार्यकर्ता अपनी मर्जी के अनुसार नुक्कड़ के लिए जगह चुन रहे हैं।
सड़क पर निर्माण सामग्री का पड़ा मलबा आगामी महीने होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण पर भारी पड़ेगा। शहर में जगह-जगह लगा मलबे का ढेर रैंकिंग के लिए निर्धारित अंकों पर भी असर डालेगा। इसी वजह से बीते साल भी निगम ने मलबा हटाने के लिए एक अलग से वाहन ही लगा रखा था। शहर की मुख्य सड़कों के किनारे सर्वे के सप्ताहभर पहले ही सारा मलबा हटा दिया गया था। इस साल जैसे-जैसे सर्वे की तिथि नजदीक आ रही है, सड़कों पर मलबे का ढेर भी बढ़ता जा रहा है। इस साल सर्वे के लिए केवल शहर में झाड़ू लगाकर सफाई करना ही पर्याप्त नहीं होगा। अन्य कई महत्वपूर्ण बिन्दु रखे गए हैं जिसमें निर्माण सामग्री का मलबा भी शामिल है।
शहर में हर छोटी-बड़ी कार्रवाई पर सिफारिश और राजनीतिक दबाव बढ़ता है। निगम ने अतिक्रमण दस्ते का गठन कर रखा है, जो आए दिन कार्रवाई करने तो पहुंचता है लेकिन फोन आते ही वापस लौट जाता है। इस मामले में निगम आयुक्त सौरभ सुमन से भी पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार किया है। बता दें कि मलबा जब्त करने का निर्देश आयुक्त ने ही दिया है।