रीवा

रोजगार दिलाने में 11 का आंकड़ा नहीं पार नहीं कर पाए आठ जनपदों के सीइओ

जिले में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा बेपटरी, चालू वित्तीय वर्ष में अब तक पचास फीसदी लेबर बजट खर्च नहीं कर सका, पंचायत अमला, जिला पंचायत के आइएएस अफसर भी मजदूरों को रोजगार दिलाने में फिसड्डी

रीवाDec 24, 2018 / 01:06 pm

Rajesh Patel

CEO of eight districts not able to cross 11 Employment

 
रीवा. जिले मे अब तक मजदूरों को रोजगार दिलाने में आला अफसर फिसड्डी रहे। जिला व जनपद पंचायत से लेकर पंचायत स्तर पर दो हजार अधिकारी-कर्मचारी काम कर रहे हैं। इसके बावजूद एक फीसदी भी मजदूरों को 100 दिन का रोजगार नहीं दिला पाए। ये बात हम नहीं बल्कि मनरेगा के आंकड़े खुद ब खुद बता रहे हैं। हैरान करने वाली बात तो यह कि रीवा जनपद में महज दो लोगों को 100 दिन का रोजगार मिला है। जबकि रोजगार दिलाने में आठ ब्लाकों में 11 मजदूरों का आंकडा तक पार नहीं कर सके हैं।
4 लाख से अधिक मजदूर, 89 हजार को दिए काम
जिले में 1.78 लाख जॉबकार्ड धारियों के 4.22 लाख मजदूर हैं। चालू वित्तीय वर्ष में जिले की 9 जनपद क्षेत्र में अब तक मात्र 104 मजूदरों को ही 100 का रोजगार मिला है। शेष मजूदरों को रोजगार दिलाने में जिम्मेदार नाकाम रहे। आला अफसरों की लापरवाही इस कदर है कि जिले में पचास फीसदी लेबर बजट पर राशि खर्च नहीं कर सके हैं। शासन स्तर पर जिले में ४२ लाख मानव दिवस काम उपब्ध कराना था। लेकिन, दिसंबर बीतने को है, इसके बावजूद अभी तक मात्र ८९ हजार मजदूरों को २६ लाख मानव दिवस काम देने का दावा किया है। रोजगार नहीं मिलने से जिले में मजदूरों का पलायन बढ़ गया है। जिले में जिला पंचायत सीइओ आइएएस हैं। इसके बाद भी मजूदरों को रोजगार दिलाने के क्षेत्र में प्रगति नहीं हो सकी।
ऐसे समझें मानव दिवस
शासन ने मनरेगा में 100 दिन रोजगार गारंटी के तहत हर मजदूर को प्रति दिन यानी मानव दिवस के आधार पर अधिक से अधिक काम देने के लिए 42 लाख मानव दिवस काम देने का लक्ष्य रखा हे। वित्तीय साल पूरा होने को महज तीन माह शेष हैं। जबकि जिले में अभी तक मात्र 26 लाख मानव दिवस काम गया है। जबकि अभी १६ लाख मानव दिवस काम देना शेष है। हर माह 30 दिन के भीतर 4 लाख मानव दिवस काम देंगे तब जाकर इस वित्तीय वर्ष का लक्ष्य पूरा होगा।
केस-1
रीवा जनपद के इटहा, सगरा, बरा आदि कई गांवो में मनरेगा के तहत रोजगार नहीं मिलने से गांव के शिवराम साकेत, सुमन आदिवासी आदि मजदूर काम की तलाश में शहर में भटक रहे हैं। हर दिन सुबह काम के लिए चौराहे पर पहुंच जाते हैं, रविवार को काम नहीं मिला तो बैरंग घर लौट गए।
केस-2
रायपुर कर्चुलियान जनपद क्षेत्र के दर्जनों गांव के मजदूर इलाहाबाद रोड पर पवार गैस एजेंसी के निकट सैकड़ो की संख्या में मजदूर सडक़ पर काम के लिए खड़े थे। कई मजदूरों ने बताया कि ग्राम पंचायतों में काम चालू नहीं हुआ है। इस लिए शहर काम के लिए आते हैं। शहर में भी इन दिनों काम नहीं मिल रहा है। रामसुमेश कोल ने बताया कि काम की तलाश में घर के बच्चे मुंबई, सूरत गए हुए हैं।

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