बताया गया है कि सिरमौर निवासी सर्वेश सोनी ने मुख्यमंत्री को शिकायत भेजी थी कि इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए उनकी ओर से कई सुझाव वन विभाग के अधिकारियों को दिए गए थे। अधिकारियों के कहने पर ही प्रोजेक्ट बना कर दिया गया था। इसे विभाग ने शासन को भेजा, जहां से करीब एक करोड़ रुपए की स्वीकृति हुई। जिसमें से घिनौचीधाम का कार्य पूरा हो चुका है।
टोंस वाटरफाल का कार्य अंतिम चरण में है। साथ ही आल्हाघाट का कार्य भी प्रारंभ हो रहा है। इस मामले में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी चाही गई तो विभाग ने गलत दस्तावेज दिए थे। शिकायतकर्ता ने पूर्व डीएफओ विपिन पटेल द्वारा मनमानी किए जाने का आरोप लगाते हुए पूरे मामले की जांच किए जाने और दोष पाए जाने पर कार्रवाई की मांग उठाई थी।
इस पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने शिकायतकर्ता को सूचित किया है कि उनकी शिकायत पर कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है। एसीएस को जांच कराने और रिपोर्ट सौंपने के लिए पत्र भेजा गया है। बता दें कि इस मामले में कई शिकायतें विभाग के पास पहले भी की जा चुकी हैं। जिनमें जांच भी कराई गई है। कुछ तो ऐसी भी शिकायतें रही हंै कि शिकायतकर्ता से बिना संपर्क किए आफिस में ही बैठकर अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट भेज दी थी। इसकी भी शिकायतें हुई थी कि अधिकारी पूरी तरह से मनमानी कर रहे हैं।
– सूचना आयोग भी लगा चुका है फटकार
रीवा जिले में इको टूरिज्म प्रोजेक्ट से जुड़े दस्तावेजों के मामले में वन विभाग पहले भी गोलमोल जवाब देता रहा है। जिसके चलते तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी पर जुर्माना लगाते हुए सीसीएफ और डीएफओ की व्यक्तिगत सुनवाई आयोजित की गई थी। आयोग के सामने तत्कालीन डीएफओ ने स्वीकार किया था कि उनसे गलती हुई है। बाद में शिकायतकर्ता को पूरी जानकारी उपलब्ध कराई गई थी।