झलरी निवासी प्रसूता रुकमुन साकेत पति दरोगा साकेत को बुधवार की शाम प्रसव पीड़ा शुरू हुई। इसके बाद परिजन उसे निजी वाहन से जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां प्रसूता ने सुरक्षित नवजात को जन्म दिया। इसके बाद गुरुवार की दोपहर डाक्टरों ने छुट्टी कर दी। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद प्रसूता को घर ले जाने के लिए उसके परिजन काफी परेशान हुए। अंत में सीएमएचओ से मदद मांगी तो सीएमएचओ ने साफ कह दिया कि हमारी जिम्मेदारी नहीं है।
कहने को तो सरकार उपचार से लेकर दवाएं व प्रसूताओं को घर लाने-जाने के लिए नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध करा रही है। लेकिन योजनाओं का लाभ धरातल स्तर पर नहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के कागजी दावे तो बहुत हैं मगर, हकीकत देखने पर यह साबित होता है कि विभाग के अधिकारी मरीजों के प्रति कितना गंभीर हंै। जब अधिकारी फटकार लगाकर मरीजों को भगा रहे हैं तो डॉक्टर व नर्सों की बात करना बेइमानी साबित होता है।
केवीएसचौधरी, कलेक्टर सिंगरौली ने इस संबंध में कहा कि सीएमएचओ को ऐसा नहीं बोलना चाहिए, यह गलत है। सीएमएचओ से बात करके हिदायत दी जाएगी। अबकी बार ऐसा सुनने में आया तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी।