डभौरा थाने में जो ट्रक खड़ा है, वह लावारिश हालत में है। पुलिस के पास ऐसा कोई रिकार्ड नहीं है, जिससे वह दावा कर सके कि उक्त ट्रक जब्ती का है। उनका तर्क है कि सहकारी बैंक घोटाले की जांच के दौरान सीआईडी के अधिकारियों ने वाहन जब्त किए थे और उनके सभी दस्तावेज वह अपने साथ ही ले गए थे।
करीब 25 करोड़ रुपए सहकारी बैंक का हजम करने के बाद आरोपियों ने कई लग्जरी वाहन खरीदे थे। जिसमें तीन लग्जरी वाहन और मोटर साइकिल डभौरा थाने में जब्त की गई थी। उसी दौरान कलेक्टर, एसपी और सीआइडी के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में तय किया गया था कि आरोपियों के पास से जब्त किए गए सभी वाहन नीलाम किए जाएंगे और उससे आने वाली राशि से घोटाले की भरपाई की जाएगी।
सीआइडी और पुलिस के अधिकारियों को इसकी जवाबदेही सौंपी गई थी लेकिन अब तक कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई है। इतना ही नहीं आरोपी अमरनाथ पांडेय की स्कूटी जो पुलिस कंट्रोल रूम से पहले गायब हुई थी फिर एसपी के दबाव में बरामद की गई, उसे भी रिलीज कर दिया गया है। कोर्ट में बैंक की ओर से पक्ष ठीक से नहीं रखा जा सका।
आरोपियों की पहुंच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि थाने में खड़े वाहनों को जेल में बंद रहते हुए आरोपी ने बेचने की तैयारी कर ली थी। इसके लिए आरटीओ के पास आवेदन भी लगा दिया गया था। जहां पर अधिकारियों ने भी साठगाठ से वाहन ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इसी बीच मामला ‘पत्रिकाÓ ने उजागर किया तो कलेक्टर ने वाहन को बेचने की प्रक्रिया को रोकवाया।
हमारे थाना परिसर में ट्रक खड़ा जरूर है लेकिन उसके बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है। सीआइडी द्वारा इसकी जांच की जा रही है, पूरा मामला वही बता पाएंगे।
राजेन्द्र चौबे, थाना प्रभारी डभौरा
डभौरा थाने में खड़े ट्रक का दस्तावेज कहां है इसका पता लगवा लेंगे। यह जांच से जुड़ा गोपनीय मामला है इस कारण अभी बताना उचित नहीं है।
मो. असलम, जांच अधिकारी सीआइडी