गांव के लोगों ने बीते महीने पहले कलेक्ट्रेट पहुंचकर कहा था कि गांव में पहाड़ीनुमा टीला था, जिसे करीब 15 वर्षों से अवैध उत्खनन कर गहरी खाईं में तब्दील कर दिया गया है। ग्रामीणों ने चेतावनी भी दी थी कि यदि उत्खनन नहीं रुका तो वह अनशन पर भी बैठेंगे। कलेक्टर ने मामले की जांच रायपुर कर्चुलियान तहसीलदार से कराई है। तहसीलदार ने पटवारियों की टीम गठित कर मौके पर भेजा था। इस टीम ने जांच के बाद पंचनामा तैयार किया और रिपोर्ट तहसीलदार को भेज दी है। इसमें कहा गया है कि ग्राम पहडिय़ा की आराजी नंबर ३५७ एवं ३५८ जो मध्यप्रदेश शासन की भूमि है।
इस भूमि में करीब पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल में बड़े पैमाने पर उत्खनन हो रहा है। इसके अलावा आसपास की भूमि का कुछ हिस्सा निजी आराजी का भी है। जिसमें शासन की बिना किसी मंजूरी के उत्खनन किया जा रहा है। इस भूमि में मुरुम एवं काला पत्थर होने का जिक्र किया गया है। पटवारियों की रिपोर्ट में स्थानीय लोगों के बयान के आधार पर अवैध उत्खनन करने वालों का नाम भी दर्ज किया गया है और कहा गया है कि ये बीते करीब 15 वर्षों से यहां पर अवैध उत्खनन करा रहे हैं।
गांव के लोगों ने आरोप लगाया था कि अवैध उत्खनन से निकले पत्थरों का उपयोग वहीं पर लगाए गए एक क्रशर प्लांट में किया जा रहा है। मौके पर मिले जेसीबी, डंपर एवं अन्य वाहनों का भी उल्लेख किया गया है।
– रायल्टी क्षतिपूर्ति की होगी कार्रवाई
प्रतिवेदन में कहा गया है कि बिना अनुमति बड़ी मात्रा में लंबे समय से उत्खनन किए जाने से रायल्टी का बड़ा नुकसान हुआ है। इसमें रायल्टी क्षतिपूर्ति के लिए अग्रिम कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है। शिकायत में भी ग्रामीणों ने कहा था कि जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई करते हुए रायल्टी की वसूली की जाए।
– तहसीलदार ने कहा अध्ययन के बाद देंगे रिपोर्ट
रायपुर कर्चुलियान के तहसीलदार आरपी त्रिपाठी ने कहा कि कलेक्टर के निर्देश पर जांच कराई गई है। जांच दल के प्रतिवेदन का अध्ययन करने के बाद कलेक्टर को रिपोर्ट भेजी जाएगी।