शासन स्तर से सेवानिवृत्ति की आयु 60 से 62 वर्ष किए जाने संबंधित जारी आदेश के मद्देनजर कुलसचिव डॉ. आनंद काम्बले ने 15 मई को हाइकोर्ट की शरण ली है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए पहले 25 मई, 28 मई और फिर 31 मई की तिथि दी लेकिन सुनवाई संभव नहीं हुई। उसके बाद सुनवाई चार जून को होना था लेकिन नंबर ही नहीं आया। नंबर आने पर कोर्ट मामले की सुनवाई करेगा।
विश्वविद्यालय ने डॉ. काम्बले को ३१ मई को 60 वर्ष की आयु पूरा करने पर इस तर्क के साथ सेवानिवृत्त कर दिया कि उच्च शिक्षा विभाग की ओर से सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष किए जाने संबंधित कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने शासन से इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा था। लेकिन उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कोई मार्गदर्शन नहीं मिला।
पूर्व निर्धारित नियमों के तहत 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने वालों में कई विश्वविद्यालय के कुलसचिव लाइन में हैं। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलसचिव डॉ. परिक्षित सिंह 30 जून को तो देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलसचिव डॉ. बी भारती 31 जुलाई को सेवानिवृत्त होंगे। यही वजह है कि हाइकोर्ट का निर्णय इनके लिए भी महत्वपूर्ण है।
विभागीय सूत्रों की माने तो उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी सेवानिवृत्ति की आयु ६२ वर्ष करने के लिए आदेश जारी करने को तैयार नहीं हैं। उनकी ओर से वित्त विभाग की ओर से जारी एक आदेश की आड़ में वित्तीय अभाव सहित अन्य दूसरे कारणों का हवाला देकर आदेश लंबित रखा गया है।