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रीवा

अधूरी रह गई अलग विन्ध्य राज्य बनाने की ख्वाहिश, कांग्रेस के दिग्गज नेता का निधन

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी का शुक्रवार को 93 वर्ष की आयु में दिल्ली अस्पताल में निधन हो गया। अध्यक्ष श्रीनिवास

रीवाJan 19, 2018 / 06:33 pm

Manish Gite

shriniwas tiwari

congress leader shrinivas tiwari passed away in delhi


भोपाल। मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र में अक्सर ही पृथक राज्य की मांग उठती रही है। तब विंध्य क्षेत्र में श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी का वर्चस्व था। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष तिवारी ने उस समय पृथक विंध्य क्षेत्र का प्रस्ताव भी विधानसभा में रखवा दिया था। लेकिन, अंतिम समय तक श्रीनिवास तिवारी की यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी।
61 साल पुरानी थी ये मांग
हर चुनाव में पृथक विंध्य प्रदेश बनाने की मांग को लेकर राजनीति होती रही। यह मांग नई नहीं थी। 1 नवंबर 1956 में जब मध्यप्रदेश का गठन हुआ था, उसी समय से से रेवाखंड में लगातार हो रहे शोषण, पिछड़ेपन, लोगों का अपमान, आर्थिक-राजनीतिक उपेक्षा के कारण अलग राज्य बनाने की मांग होती रही। श्रीनिवास तिवारी प्रथृक राज्य बनाने के पक्षधर रहे। उन्होंने पृथक विंध्य प्रदेश के नाम से विधानसभा में राजनीतिक प्रस्ताव भी रखा। बाद में उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के बघेलखंड और बुंदेलखंड को मिलाकर नया राज्य बनाने की मांग उठाई गई थी।

उस समय हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदर्शमुनि त्रिवेदी ने नए रेवाखंड की जो मांग रखी थी, उसके अंतर्गत 23 जिलों को शामिल किया गया था। 2010 की जनगणना के मुताबिक इस क्षेत्र की जनसंख्या साढ़े तीन करोड़ के पार थी। यह भी बताया गया था कि इस क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं होने के कारण यह राज्य बहुत उन्नति करेगा। इस क्षेत्र में खनिज संपदा, नदी संपदा, श्रम संपदा से भरपूर हैं। एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में भी बताया गया था कि ऐसा होता है तो दो साल में ही 25 लाख से ज्यादा बेरोजगारों को रोजगार देने वाला समृद्ध इलाका होगा रेवाखंड बन जाएगा।
केंद्र को भी भेजा था प्रस्ताव
तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी के बेटे सुंदरलाल तिवारी ने भी सरकार को पत्र लिखकर मांग की थी।

-1 मार्च 2000 को मध्यप्रदेश की विधानसभा ने पृथक विन्ध्य प्रदेश बनाने का संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भेजा था। केंद्र ने जुलाई 2000 में संसद में छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तरांचल का गठन का रास्ता तो साफ कर दिया, लेकिन विन्ध्य को छोड़ दिया गया।
-मार्च 1948 में विन्ध्य प्रदेश का गठन हुआ था।
-लेकिन, बढ़े राज्यों की परिकल्पना के कारण 1956 में विन्ध्य प्रदेश का मध्यप्रदेश में विलय हो गया।
-इसलिए छोटे राज्यों के गठन में विन्ध्य प्रदेश का पहला अधिकार है।
-यहां मध्यप्रदेश का कुल खनिज संपदा 40 प्रतिशत हिस्सा है।
-सीमेंट का उत्पादन 70 प्रतिशत हैं।
-4 राष्ट्रीय उद्यान, 6 अभ्यारण और खजुराहो, चित्रकूट, ओरछा, अमरकंटक, बांधवगढ़ जैसे विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं।
मध्यप्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस के दिग्गज नेता श्रीनिवास तिवारी का शुक्रवार को दिल्ली में निधन हो गया, वे 93 वर्ष के थे। दो दिन पहले ही उनके परिजन रीवा से हवाई एंबुलेंस से उन्हें दिल्ली ले गए थे, जहां संजय गांधी अस्पताल में इलाज चल रहा था।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के निधन बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं और उनके समर्थकों की भारी भीड़ अस्पताल में जमा हो गई। डॉक्टरों ने बताया कि श्रीनिवास के फेफड़े में इंफेक्शन था। तिवारी परिवार उनकी सेहत को फिक्रमंद थे, लेकिन शुक्रवार की सुबह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के निधन के बाद सभी को गहरा दुख हुआ।
विंध्य के एक युग का अंत

विन्ध्य क्षेत्र में अच्छी राजनीतिक पकड़ रखने वाले कांग्रेस नेता श्रीनिवास की सालों पहले ही राजनीतिक जीवन से अलग हो गए थे।जनसम्पर्क, जलसंसाधन और संसदीय कार्य मंत्री डॉ मिश्र ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री श्रीनिवास तिवारी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। जनसम्पर्क मंत्री ने कहा कि स्व तिवारी ने लंबे राजनीतिक, सामाजिक जीवन मे सक्रिय भूमिकाओं का निर्वहन किया। डॉ नरोत्तम मिश्र ने कहा कि स्व श्रीनिवास तिवारी संसदीय परम्पराओं के ज्ञाता थे,उन्होंने अपने सुदीर्घ अनुभव और संसदीय ज्ञान से अलग पहचान बनाई।सामाजिक क्षेत्र में भी आपकी सेवाएं याद रखी जाएंगी।

 

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