नगर निगम परिसर में राम-जानकी मंदिर स्थित है, जहां पर पूजा और शुद्धीकरण करने कांग्रेसी पहुंचे थे। मंदिर में पहले से ही ताला बंद था, जिसके चलते कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जाहिर किया, कुछ ने तो ताला तोडऩे की भी बात कही लेकिन नेताओं ने कार्यकर्ताओं को शांत कराया। काफी देर तक मंदिर के बाहर ही सब बैठे रहे और ताला खोलने की मांग करते रहे। कार्यकर्ताओं के आक्रोश को देखते हुए एसडीएम और सीएसपी दूर ही खड़े रहे। जब ताला नहीं खोला गया तो बाहर से ही मंदिर शुद्धीकरण की प्रक्रिया पूरी की गई। बाहर से ही गंगाजल का छिड़काव किया गया। इसके पहले मृत गायोंं के नाम पर पिंडदान और तर्पण का कार्य दफनाए जाने वाले स्थान पर किया गया।
नगर निगम परिसर में कांग्रेस को सभा करने की अनुमति आयुक्त ने नहीं दी थी। जिसके चलते बाहर ही सभा की गई, जहां पर नेताओं ने महापौर, आयुक्त एवं कार्यपालन यंत्री पर जमकर आरोप लगाए। साथ ही मंत्री को भी घेरा। इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा, त्रियुगीनारायण शुक्ला, गुरमीत सिंह मंगू, अजय मिश्रा बाबा, कविता पांडेय, लखनलाल खंडेलवाल, विनोद शर्मा, केपी सिंह, मुस्तहाक खान, नृपेन्द्र सिंह पिंटू, मुनीन्द्र तिवारी आदि ने कहा कि रीवा शहर अमन और शांति का प्रतीक रहा है। भाजपा विकास के मुद्दों पर चुनाव हारने जा रही है, इसी भय से धार्मिक द्वेष फैलाने के लिए साजिश के तहत गायों को दफनाया गया। इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और निगम के जवाबदेह अधिकारियों पर एफआईआर के साथ ही सख्त कार्रवाई की जाए।
इस दौरान नजमा बेगम, अशोक पटेल, धनेन्द्र सिंह, मो. अकरम, एहसानुल हक, वसीम राजा, अनिल मिश्रा, मनोज अग्रवाल, अनूप सिंह चंदेल, बिजेन्द्र गुप्ता, राजेन्द्र सिंह, अर्चना द्विवेदी, ममता सिंह, महेन्द्र उपाध्याय, भास्कर त्रिपाठी, पवन पाठक, अंकित सिंह, शिवेन्द्र सिंह,मुन्नालाल, शकुंतला, आरती, मनीष नामदेव, राजू निगम, दिलीप ठारवानी सहित अन्य मौजूद रहे।
जिला पंचायत के अध्यक्ष अभय मिश्रा ने कहा है कि रीवा शहर में अराजकता चरम पर है। यहां का मंत्री कुछ पूंजीपतियों के हाथों शहर को बेचने का प्रयास कर रहा है। विकास के नाम पर जनता के सवालों का जवाब नहीं है तो अब भाजपा के लोग गायों की हत्या कराने और उनका शव दफनाने का घिनौना कृत्य कर रहे हैं ताकि शहर में दंगा भड़के और शांति भंग हो। उन्होंने कहा कि पर जनता हिसाब लेगी।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष गुरमीत सिंह मंगू ने कहा कि भाजपा के शासनकाल में अफसरों ने व्यवस्थाओं का मजाक बना रखा है। नगर निगम में वर्षों से एक ही जगह पदस्थ अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। आए दिन कर्मचारियों को आंदोलन के लिए उकसा रहे हैं और शहर की शांति व्यवस्था बिगाडऩे का काम कर रहे हैं। ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो पार्टी आंदोलन व्यापक पैमाने पर जारी रखेगी।
नगर निगमें विपक्ष के नेता अजय मिश्रा बाबा ने कहा है कि वह निगम की गलत नीतियों का विरोध करते हैं इस कारण दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि साजिश के तहत गौवंश के नाम पर शांति बिगाडऩे का प्रयास किया जा रहा है। पहले गायों का मांस कटवाकर बेंचने का मामला आया और अब निगम परिसर में ही गायों को दफना दिया। ऐसे कार्य सहन नहीं किए जाएंगे। मुकदमें लगवाने से आवाज नहीं बंद होगी।
नगर निगम के कर्मचारियों ने भी बैठक का आयोजन पहले ही गुरुवार को तय कर रखा था। बैठक के बाद निगम स्पीकर सतीश सोनी को ज्ञापन सौंपा और कहा कि कांग्रेस के पार्षद अजय मिश्रा एवं रामप्रकाश तिवारी के विरुद्ध सिविल लाइन थाने में प्रकरण दर्ज है। उनके द्वारा अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अभद्रता की गई है, इस कारण पार्षद पद इनका शून्य किया जाए। निगम स्पीकर ने कहा है कि वह अधिनियम का अध्ययन करने के बाद इस पर निर्णय लेंगे। इसके बाद कर्मचारियों ने निगम कार्यालय से कमिश्नरी तक रैली निकाली।
संभागायुक्त के नाम प्रेषित ज्ञापन भी सौंपा, उसमें भी पार्षदों पर कार्रवाई की मांग उठाई गई थी। इसके बाद फिर निगम कार्यालय में एक सभा हुई जिसमें कर्मचारी नेताओं ने कहा है कि जब तक कार्रवाई नहीं होगी तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। इस प्रदर्शन में कर्मचारी संघ के प्रदेश संगठन सचिव अच्छेलाल पटेल, जिला अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह बघेल, जिला महामंत्री राजेश चतुर्वेदी, निगम इकाई के अध्यक्ष अरुण शुक्ला, मुन्नालाल बालमीकि, बुद्ध सिंह, एसके चतुर्वेदी, एचके त्रिपाठी, एसके गर्ग, हेमन्त त्रिपाठी, रबी सिंह, इबरार खॉ, केशव पटेल, संतोष सिंह, सुखेन्द्र चतुर्वेदी, सुनील चुटेले, सूर्य कुमार तिवारी, रामनिवास बंसल, राजेश बंसल, राजेश वर्मा सहित अन्य कर्मचारी शामिल रहे।
विवाद में जनता के मुद्दे हुए गायब
करीब दो सप्ताह से अधिक का समय नगर निगम परिसर में विवाद को हो गया है। कर्मचारी आंदोलन पर हैं तो कांग्रेसी भी घर बैठे सरकार को घेरने का मुद्दा पा गए हैं। ऐसे में नगर निगम का कामकाज प्रभावित हो रहा है। शहर के अलग-अलग हिस्सों से लोग अपनी समस्याएं लेकर कार्यालय पहुंच रहे हैं जिन्हें हड़ताल के चलते वापस लौटना पड़ रहा है। लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं कि अधिकारियों के कहने पर कर्मचारी काम रोककर आंदोलन कर रहे हैं। इस खींचतान के चलते जनता परेशान हो रही है और आक्रोश बढ़ता जा रहा है।