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World doctor day :  फ्रंटलाइन के कोरोना वारियर्स जहां सरकार नहीं पहुंची वहां सेवाएं दे रहे धरती के ‘भगवान’

locationरीवाPublished: Jul 01, 2020 10:10:48 am

Submitted by:

Rajesh Patel

समाज के खातिर जान जोखिम में डाल कर महामारी से लड़ रहे जंग, खुद और परिवार की चिंता के बगैर दिन-रात कर रहे काम
 

World doctor day

World doctor day

रीवा. चिकित्स क्षेत्र में बढ़ते व्यवसायिक के दौर में भी ऐसे डॉक्टरों की कमी नहीं है जो मरीजों की सेवा को ही सच्ची सेवा मानते हैं। महामारी के इस संकट काल में भी समाज के खातिर जान जोखिम में डाल कर जंग लड़ रहे हैं। खुद और परिवार की चिंता के बगैर दिन-रात काम में लगे हैं। न केवल चिकित्सा बल्कि समाजसेवा में भी ये पहली पंक्ति में हैं। अस्पतालों में फ्रंटलाइन के कोरोना वारियर्स ऐसे हैं जहां सरकार नहीं पहुंची वहां, धरती के ‘भगवान’ कहे जाने वाले डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रस्तुत है विश्व डॉक्टर-डे पर विशेष रिपोट…

मरीजों की सच्ची सेवा ही हमारी ड्यूटी
एसजीएमएच के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. इंदुलकर कहते हैं कि मरीजों की हमारी ड्यूटी ही मरीजों की सेवा ही सच्ची सेवा है। मरीज व तीमारदारों को व्यक्तिगत सेवाएं दी। ऐसे समय पर हम पर लोगों का भरोसा है। उसे टूटने नहीं देंगे। एक सप्ताह तक आइएमए के चिकित्सकों के साथ बॉयपास पर चार हजार से ज्यादा प्रवासियों को लंच पैकेट, दवाएं , सेनेटाइज, पानी और मास्क देकर सेवाएं दी। वर्तमान समय में महामारी से संकट के संकट में कोरोना से जंग लड़ रहे हैं।

छुट्टी के बाद सामाजिक दायित्व निभाया
मेडिकल कालेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. राकेश पटेल कोविड वार्ड में ड्यूटी देते हुए अपने सामाजिक दायित्व को भी नहीं भूले। लॉकडाउन के दौरान दस हजार प्रवासियों को लंच पैकेट के साथ बच्चों को खेल-खिलौने, दूध व फल का वितरण कराया। संजय गांधी अस्पताल में मरीजों को देखने के बाद जो समय बचा उसे जरूरतमंदों की सेवा में लगा दिया। खुद मौके पर उपस्थित रहकर कफ्र्यू के दौरान फंसे परिवारों फंसे परिवारों के सहयोग में सूखा अनाज भेजकर मदद की। इसके अलावा गरीब बच्चों को व्यक्गित खर्च से पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। जो सरकार का कार्य है।

तीमारदारों को बांटे भोजन
एसजीएमएच के आकस्मिक चिकित्सा विभाग कें वरिष्ठ सीएमओ डॉ. अतुल ङ्क्षसह ने महामारी के समय दूर-दूर से आए मरीजों व उनके साथ आए तीमारों को भोजन बंटवाए में अहम भूमिका निभाई, एक माह तक प्रतिदिन 100-150 तीमारों को भोजन उपलब्ध कराते थे। सुशील श्रीवास्तव, राजीव आदि के सहयोग से परिसर में जरूरतमंदों को भोजन देेकर सेवाएं की। सिंह बताते हैं कि इस कठिन समय में ही व्यक्ति की परीक्षा होती है। देश जब महामारी से जूझ रहा है तो आगे आकर भूमिका निभाना चाहिए।

सेवा के लिए महिला पिंक मिशन की शुरूआत
आइएमए की महिला विंग की अध्यक्ष डॉ ज्योति सिंह ने चिकित्सीय मपरामशर्द से इतर सेमाजसेवा में आगे आईं। उन्होंने महिला मिशन पिंक मिशन की शुरुआत की। दो साल में 12 हजार महिलाओं की हीमाग्लोबिन जांच कराने में मदद किया है। एसजीएमएच की पूर्व शिशु एवं बाल्य रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ङ्क्षसह कहती हैं कि इलाज तो पेशा है। लेकिन, इससे हटकर बच्चों और महिलाओं की सेवा करना भी हमारा दायित्व है। मिशन पिंक में डॉ. शशि जैन, डॉ. सुजाता लखटकिया सहित अन्य महिला चिकित्सक काम कर रहीं हैं।
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