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दुकानें बनाकर आवंटन करना भूल गया निगम,70 लाख का हुआ नुकसान, जानिए अब क्या दे रहे हैं दलील

चिरहुला मंदिर के पास 20 दुकानें बनाई गई थी, मुफ्त में उपयोग कर रहे प्रसाद विक्रेताआडिट आपत्ति के बावजूद नगर निगम ने नहीं की कोई कार्रवाई

रीवाOct 12, 2018 / 12:13 pm

Mrigendra Singh

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corruption in nagar nigam rewa

रीवा. शहर के चिरहुला हनुमान मंदिर के पास प्रसाद एवं फूल विक्रेताओं के लिए दुकान नगर निगम ने बनवाया था, जिसका कई वर्षों के बाद भी आवंटन नहीं हो सका है। इससे नगर निगम को करीब 70 लाख रुपए से अधिक नुकसान पहुंचा है। इस मामले में निगम के अधिकारियों की भी पूर्व में लापरवाही सामने आई थी। जिसकी वजह से मामले में पेंच फंसता गया और आवंटन नहीं हो सका है। बताया गया है कि चिरहुला हनुमान मंदिर के पास लंबे समय से फूल एवं प्रसाद की दुकानें व्यवसाई लगा रहे थे।
नगर निगम ने व्यवस्थित करने के लिए यहां पर 20 दुकानें बना दी। उस दौरान कहा गया था कि जो व्यवसाई दुकानें लगा रहे हैं, उन्हें लागत की दर पर दिया जाएगा। वर्ष 2011-12 में जब ये दुकानें बनकर तैयार हुई तो इनके आवंटन में कई ऐसे दावेदार सामने आए जिन्होंने दावा किया कि लंबे समय से वह दुकानें लगा रहे थे, इस कारण पहले उन्हें दुकान आवंटित की जाए। 20 दुकानों के लिए 35 से अधिक व्यवसाइयों ने दावेदारी पेश कर दी, जिससे निगम की मुश्किलें बढ़ी और आवंटन का कार्य रुक गया।
नि:शुल्क दुकानें चाहते हैं व्यवसाई
मंदिर के पास दुकानें लगाने वाले व्यवसाई नगर निगम द्वारा निर्धारित किया गया दुकानों का प्रीमियम या फिर किराया नहीं देना चाहते हैं। इनका कहना है कि पहले वह झोपड़ी लगाकर दुकान चलाते रहे हैं, निगम ने कहा था कि पक्की दुकानें उपलब्ध कराएंगे। उस दौरान रुपए जमा करने की कोई बात नहीं की गई थी। पूर्व में नगर निगम परिषद की बैठक में भी यह प्रस्ताव आया था कि नि:शुल्क दुकानें दी जाए लेकिन उसे वापस कर दिया गया था।
दो लाख रुपए निर्धारित था प्रीमियम
वर्ष 2011-12 में चिरहुला में बनाई गई दुकानों का प्रीमियम २ लाख रुपए प्रति दुकान के हिसाब से निर्धारित किया गया था। 20 दुकानों का कुल 40 लाख रुपए जमा होने के बाद ही इनका आवंटन होगा। इसी तरह इसी तरह दो हजार रुपए प्रति माह की दर से दुकानों का किराया निर्धारित किया गया था। सभी 20 दुकानों का एक साल का यह किराया 4.80 लाख रुपए होता है। ऐसे में बीते छह वर्ष का किराया 28.80 लाख रुपए होता है, इसके साथ ही 40 लाख प्रीमियम के भी नहीं मिले हंै। यदि दुकानों का आवंटन हो गया होता तो अब तक निगम को 70 लाख रुपए से अधिक राजस्व प्राप्त होता।
कलेक्टर के यहां चल रही सुनवाई
जिस स्थान पर दुकानें नगर निगम ने बनाई है, वह भूमि मंदिर की है। मंदिर परिसर कलेक्टर के अधीन है। इस कारण व्यवसाइयों ने कलेक्टर से भी शिकायत की थी। जिसके चलते वहां पर सुनवाई चल रही है। अभी किसी तरह का निर्णय वहां से नहीं हुआ है।
आडिट आपत्तियों के बाद भी कार्रवाई नहीं
दुकानें बनाकर आवंटन की प्रक्रिया पूरी नहीं करने के चलते आडिट में भी इसकी आपत्ति उठाई गई है। इसे लगातार कई वर्षों से आपत्ति में दर्ज किया जा रहा है। इसके बावजूद नगर निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। निगम को हो रहे राजस्व के नुकसान पर सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह बघेल ने कलेक्टर एवं नगरीय प्रशासन विभाग से शिकायत भी दर्ज कराई थी, जिस पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है।

चिरहुला मंदिर परिसर में दुकानें बनाने और आवंटन का मामला कई वर्ष पुराना है, इस कारण उसके बारे में अभी जानकारी नहीं है। इसकी फाइल देखने के बाद आगे की प्रक्रिया बढ़ाई जाएगी।
-आरपी सिंह, आयुक्त नगर निगम

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