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रीवा

बेटी ने दिखाया साहस, किडनी डोनेट कर बचाई पिता की जान

परिवार को मुश्किल वक्त से निकाला बाहर, कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़े रहे पति

रीवाJan 20, 2020 / 01:06 pm

Vedmani Dwivedi

daughter saved her father's life by donating a kidney

daughter saved her father’s life by donating a kidney

वेदमणि द्विवेदी

रीवा.बेटियों में साहस है, वह परिवार को मुश्किल वक्त से बाहर निकाल सकती हैं। मुसीबत एवं कठिन परिस्थति का सामना हिम्मत के साथ कर सकती हैं। जिले की ऐसी ही एक बेटी ने साहस दिखाया है। साहस को हर कोई सलाम कर रहा है। खुद की जान को जोखिम में डालकर अपनी किडनी पिता को देकर उनकी जान बचाई। बेटी की शादी हो चुकी है, दो छोटे-छोटे बच्चे है। इसके बावजूद उन्होंने यह चुनौती स्वीकार की।

रायपुर कर्चुलियान के पाटन रौरा गांव के रहने वाले अरुण कुमार पाण्डेय की तबियत 2018 से खराब होने लगी। उन्हें किडनी की शिकायत थी। इलाज कराया लेकिन आराम नहीं मिल रहा था। करीब दो वर्षों तक दवा के सहारे ही चलता रहा। इस दौरान उन्हें नियमित रूप से डायलिसिस भी करना पड़ता था। पिछले कुछ महीनों से उनकी तबियत ज्यादा खराब होने लगी। जिसके बाद डॉक्टरों ने दोनों किडनी खराब होने की बात कही। जान बचाने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी। इसके लिए किसी डोनर की जरुरत थी जो किडनी ट्रांसप्लांट कर सके।

बड़ी बेटी आई आगे, कहा हम डोनेट करेंगे किडनी
अरुण कुमार के दो बेटे और दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी निधि देव पाण्डेय (30) की शादी रीवा शहर के समीप स्थित ग्राम बरा कोठार में हुई है। उनके पति आदित्य देव पाण्डेय बैंक में जॉब करते हैं। पिता की जान बचाने के लिए निधि आगे आईं और उन्होंने किडनी डोनेट करने का निर्णय लिया। उनके पति ने भी उनके इस निर्णय में साथ दिया। निधि कहती हैं कि जिसने हमें उंगली पकड़कर चलना सिखाया। हमें गोद में लेकर पाला पोसा, उनकी मुसीबत में भला हम पीछे कैसे रह सकते हैं। पति आदित्य कहते हैं कि भला मैं उन्हें इस कार्य से कैसे रोक सकता हूं। उन्होंने अपना बेटी होने का फर्ज निभाया है।

भोपाल में हुआ किडनी ट्रांसप्लांट
अरुण कुमार पाण्डेय पिछले एक हफ्ते से भोपाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। बुधवार सुबह डॉक्टरों ने उनका किडनी ट्रांसप्लांट किया। अरुण बिजली विभाग में सर्विस करते हैं। उनके लिए यह पल बेहद भावुक करने वाला है। जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे पिता को बेटी ने सहारा दिया, जिसकी वजह वे दोबारा खड़े हो सके।

बेटी ने समाज को दिखाया आइना
उनकी बीमारी से परिवार पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा था। हर कोई परेशान था। सबसे मुश्किल वक्त था। इस प्रकार निधि ने पिता को दूसरी जिंदगी दी वहीं परिवार को भी मुश्किल वक्त से बाहर निकाला। उन्होंने समाज को पॉजिटिव संदेश देकर ऐसे लोगों को भी आइना दिखाया जो बेटियों को बोझ समझते हैं और बेटियों की अपेक्षा बेटों को ज्यादा महत्व देते हैं। निधि ने यह साबित कर दिखाया कि अपनों पर संकट आने पर जान की परवाह न कर बेटियां मदद के लिए तत्पर रहती हैं।

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