जिले में सब्सिडी के राशन वितरण के लिए शासन ने एक अगस्त से एइपीडीएस की नई व्यवस्था लागू की है। इस व्यवस्था में परिवार के मुखिया के साथ ही अन्य सदस्यों का अंगूठा मैच करना जरूरी है। अंगूठा मैच नहीं कराने वाले हितग्राहियों के राशन वितरण पर रोक लगा दिया गया है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही प्रदेश में कहीं से भी राशन ले सकेंगे। लेकिन, जिले में बीस हजार से ज्यादा ऐसे परिवार हैं जिसका पूरा परिवार बाहर रहता है। राशन दुकान पर नहीं पहुंचे से उनके हिस्से का राशन हर माह लैप्स हो रहा है। सीएम हेल्पलाइन पर राशन दिलाने के लिए हर माह एक हजार से ज्यादा शिकायतें पहुंच रहीं हैं। शिकायतों के निराकरण के दौरान शिकायतकर्ता को संतुष्ट करने के लिए विभागीय अधिकारियों ने संबंधितों के मोबाइल पर संपर्क किया तो मुंबई, सूरत, गुजरात, दिल्ली सहित अन्य पड़ोसी राज्यों में रहकर नौकरी, मजदूरी आदि काम कर रहे हैं।
जिले में पांच हजार से ज्यादा ऐसे बुजुर्ग हैं जो खाद्यान्न लेने के लिए हर माह दुकान पर पहुंचने में असमर्थ है। कोई बीमार है तो कोई चलने फिरने में असमर्थ है। ऐसी स्थित में पसीन में अंगूठा मैच नहीं हो पा रहा है। ऐसे बुजुर्गो के सामने राशन के लिए मुश्किल बढ़ गई है। नई व्यवस्था में शासन ने नामिनी बनाने का नियम बनाया है। लेकिन, बुजुर्गों को मोहल्ले में राशन लाने के लिए कोई नामिनी नहीं मिल रहा है। अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के सैकड़ो राशनकार्ड धारी हैं। जिन्हें कोई नामिनी नहीं मिल रहा है। कइयो के तो कोटेदार ही नामिनी बन गए हैं।
बाहर रहने वाले हितग्राहियों को एइपीडीस सिस्टम में एक राशन दुकान पर पहुंचकर अंगूठा मैच करना होगा। रजिस्टर्ड होने के बाद प्रदेश में कहीं से भी राशन का लाभ ले सकेंगे। इस तरह की शिकायतों के निराकरण में दिक्कत आ रही है।
राजेन्द्र सिंह ठाकुर, जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति नियंत्रक