– नालियों से गुजरी पाइपलाइन, दूषित पानी की हो रही सप्लाई
वाटर फिल्टर प्लांटों से सप्लाई के लिए शुद्धता के मानक के अनुरूप पानी छोड़ा जाता है। यह रास्ते में नालियों के पानी के संपर्क में आ जाता है। पूर्व में नगर निगम के इंजीनियरों ने नालियों से पीने के पानी की पाइपलाइन निकलवा दी। अधिकांश जगह पाइप में लीकेज है, जब सप्लाई बंद होती है तो नाली का गंदा पानी उसी पाइप में चला जाता है और बाद में यही नलों तक पहुंचता है। मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना २ के तहत 28 करोड़ रुपए और अमृत योजना के तहत 32 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसके बावजूद दूषित पानी की समस्या का समाधान नहीं हुआ।
– रैंकिंग से स्वच्छता के प्रति भी बढ़ी जागरुकता
पीने वाले पानी की गुणवत्ता की रैंकिंग छोटे शहरों की जारी होने पर इसके प्रति जागरुकता आएगी। इसके पहले स्वच्छता को लेकर भी लोगों में जागरुकता नहीं थी, वह नगर निगम का कार्य समझकर कार्य करते रहे हैं। जबसे रीवा शहर स्वच्छता की दिशा में बढ़ते शहरों में पहला पुरस्कार पाया, तब से यहां स्वच्छता के प्रति लोग स्वयं आगे आ रहे हैं और अब रीवा बड़े शहरों की तुलना में खड़ा होने लगा है।
– नालों के पानी से दूषित हो रही नदी
शहर से निकलने वाले गंदे नाले अधिकांश बिछिया नदी में मिलते हैं। नदी में अखाड़घाट के पास फिल्टर प्लांट का इंटकवेल बनाया गया है, इसके नजदीक ही करीब आधा दर्जन से अधिक बड़े गंदे पानी मिलते हैं। बिछिया नदी का पानी स्थिर रहता है, इसलिए नालों का पानी इसमें अधिक मात्रा में होता है। पूर्व में केन्द्र सरकार के सहयोग से बीहर नदी संरक्षण स्कीम शुरू की गई थी। इसके तहत बिछिया नदी के भी कुछ हिस्से में काम करना था। निगम के उस दौरान रहे अधिकारियों ने मनमानी रूप से इसमें काम किया। 28.5 करोड़ रुपए की इस योजना में 12.5 करोड़ रुपए की लागत से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए झिरिया नाले के किनारे अधूरा कार्य कराया गया। अब 214 करोड़ रुपए की लागत से सीवरेज प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है। दावा है कि नदियों में अब नाले का पानी नहीं पहुंचेगा।
– ठेका कंपनी के भरोसे गुणवत्ता की जांच
पानी के गुणवत्ता को लेकर निगम प्रशासन भी उदासीन है। इनदिनों शहर में पानी सप्लाई की जिम्मेदारी सीएमआर कंपनी को दी गई है। कंपनी ने तीनों फिल्टर प्लांट में प्रयोगशाला बनाई है। जहां नियमित परीक्षण किया जा रहा है। वहीं इस पर निगरानी के लिए शहर के कई हिस्सों के पानी का परीक्षण के लिए प्रयोगशाला बनाई गई है। जिसमें निगम द्वारा लगाए गए कैमिस्ट औपचारिक खानापूर्ति कर रहे हैं। प्रयोगशाला में अधिकांश समय ताला ही बंद रहता है।
– शहर के पानी की शुद्धता
पीएच वेल्यू-6.5-8.5
टर्बीडिटी- 1.0-5.0
रेसीड्यूल क्लोरीन-0.2-1.0
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एक्सपर्ट व्यू
शुद्ध पानी लोगों के घरों तक पहुंचाना प्रशासन की जिम्मेदारी होती है। रीवा में जो पानी घरों में पहुंच रहा है, इसका शुद्धीकरण किया जाता है, ऐसा पानी में ब्लीचिंग की महक से पता चलता है। इसके साथ ही फिल्टर प्लांट से लेकर नल तक पहुंचने वाले पानी की तीन से चार स्थानों पर जांच होना चाहिए। पेयजल की रैंकिंग सरकार ने शुरू की है। इससे लोग जागरुक होंगे, तो प्रशासन पर भी दबाव बना रहेगा और पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा। जिस तरह से स्वच्छता सर्वे में रीवा शामिल हुआ तो यहां लोग स्वयं आगे आने लगे हैं। इसी तरह पानी की रैंकिंग में भी लोग आगे आएंगे।
एसपी शुक्ला, रिटायर्ड चीफ इंजीनियर(पीएचई)