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रीवा जैसे छोटे शहरों से उठी पानी के रैंकिंग की मांग, इस तरह का दूषित पानी पिला रहे जो देखने के लायक भी नहीं

पेयजल की रैंकिंग छोटे शहरों में भी हो, सेहत से यहां हो रहा खिलवाड़- बिछिया नदी में जहां पर मिलते हैं गंदे नाले, वहीं से निकाला जा रहा पानी

रीवाNov 19, 2019 / 12:26 pm

Mrigendra Singh

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Demand for water ranking rises from small cities like Rewa, nagarnigam

रीवा। देश के कुछ चुनिंदा शहरों में सप्लाई होने वाले पानी की रैंकिंग सरकार ने जारी की है। इसके बाद से अब रीवा जैसे छोटे शहरों की भी रैंकिंग जारी करने की मांग उठने लगी है। वर्तमान में पेयजल की गुणवत्ता को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। रीवा शहर में पेयजल बड़ा मुद्दा रहा है। लोगों द्वारा आए दिन दूषित पानी सप्लाई होने की शिकायतें भी की जाती रही हैं।
प्रोजेक्ट तो नए शुरू कर दिए गए लेकिन घरों में पहुंचने वाले दूषित पानी की गुणवत्ता पर कोई सुधार नहीं हुआ। शहर से गुजरने वाली बीहर और बिछिया नदियों के पानी की सप्लाई घरों में हो रही है। इन नदियों में मुख्य पानी तो बाणसागर बांध का आता है, यह पीने के योग्य होता है।
तीन वाटर फिल्टर प्लांटों में इस पानी का शुद्धीकरण करने के बाद ही सप्लाई किया जाता है। पानी की गुणवत्ता का परीक्षण फिल्टर प्लांट के साथ ही नल तक पहुंचने से पहले जितने भी प्रमुख प्वाइंट हैं, वहां से सेंपल लेकर परीक्षण किया जाना चाहिए। नल तक पहुंचते-पहुंचते यह पानी दूषित हो रहा है। इससे सेहत पर असर पड़ रहा है। खराब पानी के चलते पेट से जुड़ी रीवा शहर में बीमारियां तेजी से फैल रही हैं।

– नालियों से गुजरी पाइपलाइन, दूषित पानी की हो रही सप्लाई
वाटर फिल्टर प्लांटों से सप्लाई के लिए शुद्धता के मानक के अनुरूप पानी छोड़ा जाता है। यह रास्ते में नालियों के पानी के संपर्क में आ जाता है। पूर्व में नगर निगम के इंजीनियरों ने नालियों से पीने के पानी की पाइपलाइन निकलवा दी। अधिकांश जगह पाइप में लीकेज है, जब सप्लाई बंद होती है तो नाली का गंदा पानी उसी पाइप में चला जाता है और बाद में यही नलों तक पहुंचता है। मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना २ के तहत 28 करोड़ रुपए और अमृत योजना के तहत 32 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसके बावजूद दूषित पानी की समस्या का समाधान नहीं हुआ।

– रैंकिंग से स्वच्छता के प्रति भी बढ़ी जागरुकता
पीने वाले पानी की गुणवत्ता की रैंकिंग छोटे शहरों की जारी होने पर इसके प्रति जागरुकता आएगी। इसके पहले स्वच्छता को लेकर भी लोगों में जागरुकता नहीं थी, वह नगर निगम का कार्य समझकर कार्य करते रहे हैं। जबसे रीवा शहर स्वच्छता की दिशा में बढ़ते शहरों में पहला पुरस्कार पाया, तब से यहां स्वच्छता के प्रति लोग स्वयं आगे आ रहे हैं और अब रीवा बड़े शहरों की तुलना में खड़ा होने लगा है।

– नालों के पानी से दूषित हो रही नदी
शहर से निकलने वाले गंदे नाले अधिकांश बिछिया नदी में मिलते हैं। नदी में अखाड़घाट के पास फिल्टर प्लांट का इंटकवेल बनाया गया है, इसके नजदीक ही करीब आधा दर्जन से अधिक बड़े गंदे पानी मिलते हैं। बिछिया नदी का पानी स्थिर रहता है, इसलिए नालों का पानी इसमें अधिक मात्रा में होता है। पूर्व में केन्द्र सरकार के सहयोग से बीहर नदी संरक्षण स्कीम शुरू की गई थी। इसके तहत बिछिया नदी के भी कुछ हिस्से में काम करना था। निगम के उस दौरान रहे अधिकारियों ने मनमानी रूप से इसमें काम किया। 28.5 करोड़ रुपए की इस योजना में 12.5 करोड़ रुपए की लागत से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए झिरिया नाले के किनारे अधूरा कार्य कराया गया। अब 214 करोड़ रुपए की लागत से सीवरेज प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है। दावा है कि नदियों में अब नाले का पानी नहीं पहुंचेगा।

– ठेका कंपनी के भरोसे गुणवत्ता की जांच
पानी के गुणवत्ता को लेकर निगम प्रशासन भी उदासीन है। इनदिनों शहर में पानी सप्लाई की जिम्मेदारी सीएमआर कंपनी को दी गई है। कंपनी ने तीनों फिल्टर प्लांट में प्रयोगशाला बनाई है। जहां नियमित परीक्षण किया जा रहा है। वहीं इस पर निगरानी के लिए शहर के कई हिस्सों के पानी का परीक्षण के लिए प्रयोगशाला बनाई गई है। जिसमें निगम द्वारा लगाए गए कैमिस्ट औपचारिक खानापूर्ति कर रहे हैं। प्रयोगशाला में अधिकांश समय ताला ही बंद रहता है।

– शहर के पानी की शुद्धता
पीएच वेल्यू-6.5-8.5
टर्बीडिटी- 1.0-5.0
रेसीड्यूल क्लोरीन-0.2-1.0

एक्सपर्ट व्यू
शुद्ध पानी लोगों के घरों तक पहुंचाना प्रशासन की जिम्मेदारी होती है। रीवा में जो पानी घरों में पहुंच रहा है, इसका शुद्धीकरण किया जाता है, ऐसा पानी में ब्लीचिंग की महक से पता चलता है। इसके साथ ही फिल्टर प्लांट से लेकर नल तक पहुंचने वाले पानी की तीन से चार स्थानों पर जांच होना चाहिए। पेयजल की रैंकिंग सरकार ने शुरू की है। इससे लोग जागरुक होंगे, तो प्रशासन पर भी दबाव बना रहेगा और पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा। जिस तरह से स्वच्छता सर्वे में रीवा शामिल हुआ तो यहां लोग स्वयं आगे आने लगे हैं। इसी तरह पानी की रैंकिंग में भी लोग आगे आएंगे।
एसपी शुक्ला, रिटायर्ड चीफ इंजीनियर(पीएचई)
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