जिला क्षय केंद्र में बैठक आयोजित हुई। डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एनपी पाठक, जिला क्षय अधिकारी डॉ. बीएल मिश्रा, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश बजाज, डॉ. आशुतोष पंत, दवा विके्रता संघ के सचिव शशि मिश्रा, जीएमएच की डायटिशियन सहित अन्य लोग बैठक में शामिल हुए। बैठक में 0 से 14 वर्ष तक के टीबी ग्रस्त बच्चों को गोद लेने पर सहमति बनी।
जिलेभर से ऐसे 64 बच्चों को चिह्नित किया गया है। इन बच्चों को छह माह तक पौष्टिक आहार देने की व्यवस्था पर चर्चा की गई। बैठक में डायटिशियन से पौष्टिक आहार का चार्ट उपलब्ध कराने को कहा गया है ताकि उस चार्ट के अनुसार टीबी ग्रस्त बच्चों को पौष्टिक आहार मुहैया कराया जा सके। ये पौष्टिक आहार वह व्यक्ति देगा जो बच्चे का पालनहार बनेगा। साथ ही गोद लिए गए बच्चे की दवाएं नियमित चलें। उसकी देखभाल की जिम्मेदारी भी लालन-पालन करने वाले की होगी। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. बीएल मिश्रा ने कहा कि टीबी रोग का मुकाबला बिना जागरुकता और भूख को मिटाए नहीं किया जा सकता है। बच्चे संतुलित आहार न मिलने से कुपोषण की चपेट में आते हैं इलाज के अभाव में कमजोरी टीबी रोग में ढकेल देती है।
समाज के हर तबके को जोड़ेंगे
जिला क्षय रोग अधिकारी ने कहा कि प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने यह पहल की है। उनका निर्देश है कि पढ़े-लिखे लोग टीबी ग्रस्त बच्चों को गोद लेकर उनकी देखभाल करें। इससे टीबी मुक्त भारत का सपना साकार हो सकेगा। इसके परिपालन में समाज के हर तबके को अभियान से जोड़ा जाएगा।
इतने बच्चे चिह्नित
रीवा शहर 13,रीवा ग्रामीण 03,गंगेव14,सिरमौर 03,हनुमना 06,नईगढ़ी02,जवा 05,त्योंथर 04,
रायपुर कर्चुलियान 09,मऊगंज 05 आदि बच्चे टीबी के ग्रस्त में पाए गए हैं जिन्हें गोद लेनेे की तैयारी है।