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रीवा

शिक्षा विभाग हुआ डिजिटल, छात्रों से लेकर टीचर्स तक की पढाई और ट्रेनिंग ऑनलाइन

-50 फीसदी कर्मचारी घर से काम कर रहे काम, 15 हजार छात्रों से किया सम्पर्क – मानीटरिंग भी ऑनलाइन

रीवाJun 11, 2020 / 05:51 pm

Ajay Chaturvedi

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में

रीवा. कोविड-19 में लॉकडाउन के बाद अनलॉक-1 में लोग काम पर लौट रहे हैं। लेकिन इस बीच काम करने का तरीका बदल गया है। विभागों में अब जरूरी कार्यों को छोडकऱ अन्य सारे काम ऑनलाइन ही हो रहे हैं। इसमें शिक्षा विभाग ने भी नई दिशा डिजिटल की और कदम रखा है। स्थिति यह है कि छात्रों के शैक्षणिक काम से लेकर शिक्षकों का ऑनलाइन प्रशिक्षण चल रहा है। घर बैठकर शिक्षक बच्चों को पढ़ाकर उनके सवालों का जबाव दे रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में छात्रों के भविष्य को लेकर शिक्षा विभाग ने डिजिटल माध्यम की ओर कदम बढ़ाकर नवाचार किया है। इसमें जहां शिक्षा के लिए अब मोबाइल डिजीलेप बनाकर शिक्षकों व अभिभावकों का ग्रुप बना दिया गया है। इस ग्रुप में ही शिक्षक घर बैठे शैक्षणिक सामग्री छात्रों को भेज दे रहे हैं। इसी प्रक्रिया के तहत 15 हजार से अधिक शिक्षकों ने ऑन लाइन फार्म भरा है।
ऑन लाइन की ओर बढ़ रही शिक्षा
कोविड-19 को देखते हुए शिक्षा विभाग अब डिटिजल की ओर बढ़ रहा है। इसके तहत पहले भी कई काम ऑन लाइन होते रहे है। पहली बार शिक्षा विभाग ने 35 हजार शिक्षकों को ऑनलाइन ट्रांसफर करने का नया प्रयोग किया है। इतना ही मानीटरिंग सिस्टम व भी ऑनलाइन है। अभी पूरी तरह डिजिटल में काफी समय लगेगा। इसके लिए स्मार्ट वर्किंग की जरूरत है।
प्रशिक्षण में लाखों की बचत

शिक्षा विभाग में साल भर शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलते है। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए शिक्षक गांव से शहर आते हैं। ऐसे में शिक्षकों के आने से जहां शैक्षिणक काम प्रभावित होता है। वहीं प्रशिक्षण भत्ता व खाना और नास्ते में समय नष्ट हो जाता है। ऐसे में ऑनलाइन के माध्यम से शिक्षकों को प्रशिक्षण व शैक्षणिक सामग्री प्रदान की जा सकती है। इससे सरकार को एक साल में लाखों की रुपये की बचत होगी। वहीं शिक्षकों को भी परेशानी होगी।
ऑफिस काम में जरूरी है कार्यालय

शिक्षा विभाग के जिला कार्यालय से योजनाओं को प्राइवेट स्कूल की मान्यताओं सहित अन्य काम व पत्राचार होते हैं। इसके साथ शिक्षकों के सर्विस संबंधी अभिलेख व रिकार्ड होते हैं। इन सभी को घर में रखकर काम करना मुश्किल है। इसके लिए नीचे से ऊपर तक सिस्टम अपडेट की जरूरत है। वहीं लोगे को भी कार्यालय होने से काम के लिए आसानी होती है। इसलिए वर्क फ्रॉम होम विकल्प हो सकता है लेकिन इसको नियमित नहीं किया जा सकता है।
फैक्ट फाइल
5000 वर्ग फीट में ऑफिस
1 डीइओ सहित 5 एकेडमिकी अधिकरी
15 लिपिक
4 चपरासी
86 सौ से अधिक स्टॉफ स्कूलों व विकासखंडों पर

यह आएगी दिक्कत
– लोगों की कम्पयूटर दक्षता कम है इससे वर्क फ्रॉम होम में परेशानी होगी
-काम का समय निश्चित होने से निरंतरता नहीं बनती
– आम जन के काम को काफी कठिनाई होगी
– नियत्रंण व मॉनीटरिंग और संवाद में परेशानी परेशानी होगी
“लॉक डाउन के दौरान 70 प्रतिशत कर्मचारी घर से काम कर रहे है। 33 प्रतिशत कर्मचारी आ रहे हैं। रोटेशन के तहत कर्मचारियों को बुलाया जा रहा है। वर्क टू होम में अब शिक्षकों से घर बैठे शैक्षिणक काम ले रहे हैं। ऑनलाइन के माध्यम बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है। साथ ही ऑनलाइन शिक्षकों को प्रशिक्षण वर्क टू होम किया जा सकता है, लेकिन इसका निर्णय उच्च स्तर से लिया जाएगा। मेरी समझ में कार्यालयों की व्यवस्था को समाप्त करना उचित नहीं है।”- आरएन पटेल, डीईओ

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