बताया जा रहा है इनमें अधिकांश बड़े उपभोक्ता शामिल होते है पहले वह मीटर में रीडर से मिलकर बिजली की कम खपत दिखाते है । इसके बाद जब रीडिंग बहुत ज्यादा हो जाता है तो उसे मीटर जला देते है। इसके बाद मीटर बदलकर नई रीडिंग के अनुसार मीटर रीडिंग का बिल जारी करवा देते है। इससे विद्युत कंपनी को फायदा हो जाता है। इसमें कभी -कभी मीटर पुरानी मीटर रीडिंग पंच एमआरआइ से पंच होने पर उपभोक्ता की परेशानी बढ़ जाती है। ऐसे में इकट्टा बिल जारी हो जाता है।
बताया जा रहा इसी तरह ढेकहा और पडऱा मोहल्ले में व्यापक स्तर की मीटर रीडिंग के लिए नए मीटर बदले गए है। इसका खुलासा होने पर कार्यपालनयंत्री मीटर रीडर व लाइन मैन के विरुद्ध जांच बैठाई है।
कही उपभोक्ता की मीटर बदलने की शिकायत सामने आ रही है जो मीटर अब उपभोक्ता के घरों में लगे है उनके नम्बर मैंच नहीं हो रहे है। इस संबंध में जांच की जा रही है।
ओपी द्विवेदी, कार्यपालन यंत्री रीवा