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मनरेगा में मृतक से 12 दिन तक सडक़ निर्माण कराता रहा रोजगार सहायक

locationरीवाPublished: Jan 20, 2021 10:14:35 am

Submitted by:

Rajesh Patel

सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। मंगलवार को कमिश्नर और कलेक्टर की टेबल पर पहुंची शिकायत में एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है

Budget crisis in MNREGA, half of the workers did not get work since la

Budget crisis in MNREGA, half of the workers did not get work since la

रीवा. सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। मंगलवार को कमिश्नर और कलेक्टर की टेबल पर पहुंची शिकायत में एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिसमें एक 80 साल का लकवा ग्रसित बुजुर्ग सुदूर ग्राम सडक़ योजना में तीन साल तक कार्य करता रहा। हद तो तब हो गई जबकि बुजुर्ग की मृत हो गई तब मृत दिनांक के बाद भी सुदूर ग्राम सडक़ योजना में कागज पर 12 दिन तक कार्य कराते रहे।
कलेक्टर को आवेदन देने के बाद खुली पोल
जिले के हनुमना जनपद क्षेत्र के मलैगवां ग्राम पंचातय के बुजुर्ग निर्भय प्रसाद की। ग्रामीणों ने कलेक्टर को आवेदन देकर बताया कि बुजुर्ग निर्भय प्रसाद बीते तीन साल तक लकवा ग्रसित रहे। इस बीच 13 नवंबर 2020 को मृत्यु हो गई। बावजूद इसके पंचायत अमले ने बुजुर्ग के नाम पर मनरेगा योजना में मस्टरोल पर सुदूर ग्राम सडक़ में श्रमिक के रूप में मस्टरोल पर काम कराते रहे। हैरानी की बात यह कि बजुर्ग की मृत्यु 13 नवंबर 2020 को हो गई। इसके बाद भी पंचायत अमला 30 नवंबर 2020 तक मनरेगा के मस्टरोल पर काम दिखाता रहा।
पंचायत विभाग ने जारी किया मृत प्रमाण पत्र
पंचायत अमला को इसकी जानकारी तब हुई जब निर्भय प्रसाद के परिजनों ने मृत प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया और दो दिसंबर 2020 को बुजुर्ग निर्भय प्रसाद का 13 नवंबर 2020 दिनांक को मृत प्रमाण पत्र घोषित किया। इसी तरह विद्याधर पटेल गांव के शिक्षक हैं और मनरेगा में निर्माण करते रहे। मामले में ग्रामीणों ने कमिश्नर और कलेक्टर को मृत प्रमाण पत्र के साथ मनरेगा पोर्टल की विस्तृत जानकारी का दस्तावेज सौंपा है। कलेक्टर ने ग्रामीणों को कार्रवारई का आश्वासन देते अपर कलेक्टर विकास को जांच सौंपा है।
दस लाख से अधिक का फर्जीवाड़ा
मलैगवां में वर्ष 2014 में भगवत मिश्रा के घर से मोहन के खेत तक मनरेगा में खेत सडक़ योजना के तहत निर्माण कराकर 9.26 लाख रुपए आहरित कर लिया गया। उसी सडक़ को चालू वर्ष में ग्राम सुदूर सडक़ योजना के तहत निर्माण दिखाकर 2.23 लाख रुपए आहरित कर लिया गया। हैरानी की बात तो यह कि इसी सडक़ के निर्माण में ग्रामीणों की शिकायत पर तत्कालीन समय में पुलिस और जनपद के अधिकारियों ने जेसीबी से निर्माण कराए जाने का पंचनामा भी तैयार किया था। बावजूद इसके आज तक कार्रवाई नहीं हो सकी है।
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