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भू-माफिया और अफसर मिलकर खा गए तालाब की भूमि, बसा डाली आवासीय कालोनी, जानिए एनजीटी ने क्या कहा

– रतहरी तालाब की भूमि का अस्तित्व हो गया समाप्त, एनजीटी के निर्देश भी बेअसर

रीवाMar 18, 2019 / 12:26 pm

Mrigendra Singh

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Encroachment on land of the pond in rewa, land mafia nexus

रीवा। सरकारी भूमि पर अतिक्रमण राजनीतिक एवं प्रशासनिक सरंक्षण पर ही होते हैं। शहर के रतहरी का तालाब इसी मिलीभगत का शिकार हो गया है। जहां पर तालाब का अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त हो गया है और यहां पर आवासीय कालोनी बसा दी गई है। तालाब को बचाने लोग संघर्ष भी कर रहे हैं लेकिन भू-माफिया का नेटवर्क इतना व्यापक है कि प्रशासनिक अधिकारी शिकायतों को दरकिनार करते जा रहे हैं।
बताया गया है कि रतहरी की भूमि नंबर २१७/१ एवं २१८ जिसका रकवा आठ एकड़ के करीब है। यह तालाब की भूमि और भीटा का हिस्सा है। यहां पर बड़े हिस्से में अल्प आय वर्ग गृह निर्माण सोसायटी ने प्लाट बनाए और उसे बेच दिया। जहां पर तेजी के साथ निर्माण हुआ और पूरी कालोनी विकसित हो गई है। तालाब का अस्तित्व अब पूरी तरह से समाप्त हो गया है। जहां पर गहराई थी उसे पाट दिया गया है। अल्प आय वर्ग गृह निर्माण सोसायटी द्वारा मनमानी रूप से प्लाट बनाए जाने का फायदा स्थानीय स्तर पर अन्य भू माफिया ने भी उठाया।
अधिकारियों की मिलीभगत से तालाब की भूमि के कूटरचित दस्तावेज तैयार कर इसकी बिक्री भी कर दी गई। जिसकी वजह से स्वयं के कई भूमि स्वामी हो गए। अब हालात यह है कि तालाब में ऐसी कोई भी भूमि नहीं बची है, जिसका हिस्सा खाली। जहां पर निर्माण नहीं हुआ है वहां भूमि स्वामियों ने अपनी बाउंड्री बना दी है।
ऐसे बनाया तालाब की भूमि को निजी
पूर्व में रतहरी तालाब की भूमि सरकारी थी, वर्ष २०११ में कूट रचित दस्तावेजों का सहारा लेकर गयाचरण वाजपेयी नाम के व्यक्ति को भूमि स्वामी बना दिया गया। बाद में गयाचरण ने इस भूमि को अल्पआय वर्ग गृह निर्माण सोसायटी के नाम कर दिया। सोसायटी ने इसे प्लाट बनाकर बेचना शुरू कर दिया। इस पर आपत्तियां भी उठाई गई हैं। बताया जा रहा है कि इसमें रजिस्ट्री विभाग और नगर निगम से जुड़े लोगों ने भी प्लाट अपने नाम करा लिया है।
मास्टर प्लान की धज्जियां उड़ा दी
शहर में विकास कार्यों के लिए मास्टर प्लान बनाया गया है। जिसका पूरी तरह से उल्लंघन किया गया। नगर निगम के अधिकारियों की उदासीनता की वजह से शहर के अन्य हिस्सों में भी मास्टर प्लान का पालन नहीं किया गया है। प्लान के मुताबिक शहर के तालाबों का सौंदर्यीकरण किया जाना था लेकिन यहां तो उसका अस्तित्व ही समाप्त कर दिया गया।
बिना अनुमति होते गए निर्माण, सड़क पर भी बना लिया मकान
शहर में होने वाले हर निर्माण के लिए नगर निगम से अनुमति लेना जरूरी होता है। तालाब परिसर में बनाए गए मकानों के लिए भवन अनुज्ञा नियमों के मुताबिक जारी नहीं की जा सकती थी, इसलिए निगम के अधिकारियों ने वहां पर निर्माण होने दिया। इतना ही नहीं नगर निगम द्वारा बनाई गई सड़क को भी नष्ट कर वहां मकान बना दिया गया है। निगम के अधिकारियों ने नोटिस तो दी लेकिन अपनी सड़क नहीं बचा सके। इससे भू माफिया के नेटवर्क का प्रशासन पर दबाव समझा जा सकता है।
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एनजीटी के निर्देश का पालन नहीं
एनजीटी में भी यह मामला पहुंचा था, जहां पर कलेक्टर की ओर से प्रतिवेदन दिया गया था कि आवासीय कालोनी बनाने संबंधी कोई अनुमति नहीं दी गई है। एनजीटी ने तालाब की भूमि पर निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगाने का निर्देश दिया था।
अब होगा तालाब बचाने बड़ा आंदोलन : विश्वनाथ
तालाब की भूमि बचाने के लिए आंदोलन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता विश्वनाथ पटेल ने कई बार धरना प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि कलेक्टर एवं निगम अधिकारियों को फिर से आवेदन दिया है, यदि कार्रवाई नहीं होगी तो इस बार सीएम हाउस तक यात्रा निकाली जाएगी और वहां पर आत्मघाती कदम भी उठाएंगे क्योंकि इस भ्रष्ट व्यवस्था के आवाज उठाना बेमतलब होता जा रहा है।

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