scriptइस जिले में कलेक्टर की चौपाल के 11 साल बाद भी राह आसान नहीं, हजारो लोग इतने किमी लगा रहे चक्कर | Even after 11 years of the Collector's Choupal | Patrika News

इस जिले में कलेक्टर की चौपाल के 11 साल बाद भी राह आसान नहीं, हजारो लोग इतने किमी लगा रहे चक्कर

locationरीवाPublished: Apr 20, 2019 12:33:43 pm

Submitted by:

Rajesh Patel

जिले के पनियारी घाट के आस-पास दर्जनभर से अधिक गांवों के लोगों को पचीस किमी दूर चक्कर काटने के बाद पहुंच रहे रीवा

Even after 11 years of the Collector's Choupal

Even after 11 years of the Collector’s Choupal

रीवा. लोकसभा चुनाव के शोर में पनियारी-जनकहाई का मुद्दा गायब है। तत्कालीन कलेक्टर की चौपाल के ११ साल बाद भी दर्जनभर ग्रामीणों की राह आसान नहीं हो सकी। रीवा पहुंचने के लिए आज भी दर्जनभर गांवो के लोगों को पचीस किमी चक्कर लगाना पड़ता है। सामाजिक संगठन के कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों ने पैदल यात्रा निकाल कर अधिकारियों और प्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट कराया है।
पैदल यात्रा शुरू की
सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीणों ने जनकहाई से पनियारी घाट तक मार्ग निर्माण को लेकर 16 अप्रेल से पैदल यात्रा शुरू की है। यात्रा दूसरे दिन जनकहाई गांव पहुंची। गांव में चौपाल के सामय ग्रामीणों ने मुद्दा उठाया कि वर्ष 2007-08 में तत्कालीन कलेक्टर ने चौपाल लगाकर आदिवासी परिवारो की मूलभूत सुविधाओं पर चर्चा की थी।
चौपाल के दौरान 5.11 किमी
चौपाल के दौरान ही जनकहाई से 5.11 किमी की सडक़ पनियारी घाट से जोडऩे के लिए प्रस्तव पीडब्ल्यूडी को दिया गया था। ग्रामीणों ने क्योटी जनकहाई से पनियारी घाट मार्ग एक साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री ने पत्राचार भी किया है। इसके बाद भी पनियारी मार्ग को चालू नहीं किया जा सका है। पनियारी मार्ग को चालू करने और जल संरक्षण को लेकर पैदाल यात्रा शुरू कर दी है।
पनियारी घाट का मार्ग चालू करो
सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश यादव ने बताया कि पनियारी घाट का मार्ग चालू होने से जनकहाई सहित आस-पास के दर्जनभर ग्रामीणों को रीवा पहुंचने के लिए 25 किमी का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। इसके अलावा रीवा से वाया सिरमौर पनियारी घाट होते हुए इलाहाबाद की दूसरी तीस किमी कम हो जाएगी। इस मार्ग से रीवा-इलाहाबाद की दूरी 100 किमी हो जाएगी। महिला कार्यकर्ताओं ने बताया कि जनकहाई के ग्रामीणों को इलाज आदि के लिए सहूलियत मिलेगी। पैदल यात्रा के दौरान जवाहरलाल पाल, राजेश केवट, प्रवीश कुमार ङ्क्षसह सहित महिलाएं शामिल हैं।
इलाज के लिए होती है परेशानी
ग्रामीणों ने पैदल यात्रा के दौरान बताया कि बाढ़ के समय गांव से निकला मुश्किल हो गया था। 25 किमी दूर चक्कर लगाने के बाद भी असपताल नहीं पहुंच पाते थे।
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