जानकारी के अनुसार भारतीय जन शक्ति पार्टी का भाजपा में विलय होने पर उन्होंने बीजेपी का दामन थामा था। तबसे भाजपा मेें काम कर रहे थे। वर्ष 2017-18 में वे लंबी बीमारी से जूझने के बाद लौटे तो फिर भाजपा में सक्रिय रूप से कार्य नहीं कर पाए। सायद यही वजह रही कि मऊगंज में भाजपा ने दूसरा प्रत्याशी तलाशना शुरू कर दिया था।
आसन्न विधानसभा चुनाव 2018 में उनको भाजपा पार्टी से टिकट मिलने की संभावना काफी कम थी। जिसके चलते ही उन्होंने यह कदम उठाया है। उनको सायद यह आभाष हो गया है कि सवर्ण सेना जिस प्रकार एसएसीएसटी एक्ट का विरोध कर रही है, उससे राजनीतिक समीकरण रीवा जिले में बदल सकते हैं। और इसीलिए उन्होंने एससीएसटी एक्ट का समर्थन किया और मौके का फायदा उठाने के चक्कर मेें भाजपा जैसी बड़ी पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। अब उनकी अगली रणनीति सवर्ण मतदाताओं की सहानुभूति जुटाकर मैदान में उतरने पर केन्द्रित होगी।
लक्ष्मण तिवारी के राजनीतिक कैरियर की शुरुआत देंखे तो उन्होंने बसपा के अगेन्स्ट सवर्ण समाज पार्टी बनाकर रीवा में राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। 9 सितंबर 1995 को सवर्ण समाज पार्टी का गठन हुआ था। 1996 मेें रीवा लोकसभा का चुनाव लड़ा। जिसमें उनको 1,6000 मत प्राप्त हुए थे। इससे विंध्य में उनको राजनीतिक पहचान मिली। 1998 एवं 2003 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था। तिवारी इसके पहले सेना में थे और सेवानिवृत्त होने के बाद राजनीति में कदम रखा।
पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के चहेते थे। उमा भारती ने भाजपा को छोड़कर भारतीय जन शक्ति पार्टी बनाई थी। रीवा से लक्ष्मण तिवारी की सवर्ण समाज पार्टी भी भारतीय जन शक्ति पार्टी के समर्थन में आ गई थी। लक्ष्मण तिवारी 2008 में मऊगंज से विधायक चुने गए। इसके बाद बदले राजनीतिक समीकरण के चलते उमा भारती की पार्टी भारतीय जन शक्ति का भाजपा में विलय हो गया। जिसके साथ तिवारी भी 2011 में भाजपा में आ गए थे।
लक्ष्मण तिवारी को भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2013 में मऊगंज विधानसभा क्षेत्र में अपना उम्मीदवार घोषित किया था। जहां भारी पैमाने पर सवर्ण वोटों के बंटवारें के कारण उनको चुनाव में मात खानी पड़ी। यहां कांग्रेस ने भाजपा को बुरी तरह से शिकस्त दी और 28132 मत लेकर लक्ष्मण तिवारी को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। भाजपा लक्ष्मण तिवारी के इस परफार्मेंश से खुश नहीं थी। यह बात तिवारी भी जानते थे। सायद यही वजह रही कि वे पार्टी छोडऩे का मौका तलाश रहे थे। और एसएसीएसटी एक्ट के मामले ने उनको यह मौका दे दिया।
पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी का अगला कदम क्या होगा, इसको लेकर सूबे तरह-तरह की चर्चाएं गर्म हैं। हालांकि उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि वे प्रदेश में प्रदेश में शिवराज सरकार की मनमानी के विरोध में यात्रा निकालेंगे। उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने के बाद उनकी यात्रा शुरू होगी, जो सभी विधानसभाओं में जाएगी। तिवारी ने कहा कि वे जनता को सरकार की नाकामियां बताएंगे।