मितेश देव ने बताया कि खेत में सोलर झटका मशीन के तार की फेसिंग लगवाई। पांच एकड़ में आमरूद का बगीचा लगवाया। खेत में वर्मीपिट बनाकर उसी से बनी जैविक खाद का उपयोग करते हैं तथा अर्गेनिक खेती करते हैं। तीन एकड़ में प्याज की खेती तथा मेड़ों में अरहर की बोनी करने लगा। इसके अलावा अन्य जिंसों एवं विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती को भी अपनाया, जिससे आय बढ़ी। कहा कि युवाओं के लिए यह अच्छा रास्ता है।
मितेश ने 2.5 एकड़ में डेयरी प्रारंभ की। साहीवाल एवं गिर किस्म की 45 गाय रखी हैं, इनसे 150 लीटर दूध प्रतिदिन होता है। दूध हाथोंहाथ 90 रुपये लीटर गांव में ही बिक जाता है। अकेले दूध से 1.25 लाख रुपए प्रतिमाह आमदनी होती है। 2022 में पशुपालन प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ और 10 हजार प्रोत्साहन राशि मिली। मितेश के अनुसार वे रीवा के पहले शुद्ध भारतीय नस्ल की गाय का सर्टिफाइड दूध सप्लायर हैं।
मितेश न केवल पशुपालन बल्कि फसल विविधीकरण के साथ ही मधुमक्खी पालन में भी आगे हैं। इन्होंने वर्तमान में 150 बाक्स में मधुमक्खी पालन किया हुआ है। इस तरह विविध स्टार्टअप के जरिए लाखों रुपए की कमाई करके मितेश युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हंै। उन्होंने युवाओं से कहा कि नौकरी का मोह छोड़ें और स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार करें।