कुछ तो बड़े दुकानदारों के नाम भी पाए गए हैं। नगर निगम में बीते कई वर्षों से भाजपा की सत्ता है। इसलिए अधिकांश नाम इस दल से जुड़े एवं उनके करीबियों के बताए जा रहे हैं। हर वार्ड का सर्वे कराया जा रहा है, जिस व्यक्ति का नाम गरीबी रेखा सूची से बाहर किया जाना है, उसके भी प्रमाण जुटाए जा रहे हैं।
रीवा शहर में पूर्व में किए गए सर्वे के अनुसार 18 हजार परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते बताए गए थे। एक परिवार में पांच सदस्यों का औसत माना जाता है।
इस तरह से 2.35 लाख की आबादी वाले इस शहर में करीब एक लाख लोग गरीबी रेखा की सूची में शामिल थे, इतना ही नहीं शासन की योजनाओं का लाभ भी ले रहे थे। बीते शुरू की गई संबल योजना को लेकर भी इसी तरह का विवाद था। कांग्रेस नेताओं का आरोप था भाजपा कार्यकर्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए योजना लागू की गई है। इसके लिए नगर निगम कार्यालय में बड़ा विवाद हुआ था।
– 200 नाम एसडीएम के पास भेजे गए
गरीबी की निर्धारित शर्तों के अनुसार नहीं होने के बावजूद 200 नामों का सत्यापन कराया गया है। जिसमें पाया गया है कि उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर है। इसलिए इन नामों की सूची एसडीएम कार्यालय को भेजी गई है। एसडीएम को ही गरीबी रेखा सूची में नाम जोडऩे और काटने का अधिकार है। नगर निगम केवल प्रस्ताव दे सकता है।
– सर्वे में नए नाम भी जोड़े जाएंगे
डोरटूडोर नगर निगम के कर्मचारियों को भेजा जा रहा है। जिसमें वह पूर्व के नामों का सत्यापन करने के साथ ही नए गरीबों की भी तलाश कर रहे हैं। हर वार्ड के हिसाब से नए नाम जोड़े जाने का प्रस्ताव भी एसडीएम को भेजा जाएगा। बताया जा रहा है संबल की जगह नया सवेरा के नाम से योजना शुरू की गई है, इसलिए पात्र हितग्राहियों का नाम जोडऩे के लिए कहा गया है।