मृतक के परिजनों को सांत्वना देने सांसद जर्नादन मिश्रा, विधायक शीला त्यागी, जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा आदि पहुंचे। इन्होंने परिजनों के साथ खड़े होने का आश्वासन दिया और कलेक्टर से त्वरित जांच के लिए कहा। मौके पर मौजूद एसडीएम दीपक वैद्य ने जांच शुरू कर दी। परिजनों के बयान दर्ज किए इसके बाद अंतिम संस्कार के लिए लोग रवाना हुए।
नौजवान बेटे की मौत के बाद किसी मां पर आए दर्द को शब्दों में बयान करना मुश्किल होता है। वह मां जिसने कई दिनों तक बेटे को अचेत और तड़पते हुए देखा हो, उसके लिए हर आश्वासन बेमानी साबित हो रहे थे। मनीष की हत्या को पहले पुलिस ने सड़क हादसा बताया। जबकि परिजन शुरू से ही पीएसआई शिवा अग्रवाल सहित उसके दोस्तों पर मारपीट करने का आरोप लगाते रहे हंै। इसके बाद पुलिस ने गंभीर हालत में रात में मनीष को रेफर कराया।
जिस बेटे को मां ने इतने संघर्षो के बाद पालन पोषण किया। उसको न्याय दिलाने के लिस मां ने कलेजे में पत्थर रखकर उसका अंतिम संस्कार रोक दिया। तीन दिन तक मां बेटे का शव लेकर विलखती रही है। यहां तक कि वह बेटे का शव छोड़कर एक मिनट के लिए भी घर के अंदर नहीं गई। यह देख परिजनों व ग्रामीणों की भी आखें भर आई। तीसरे दिन प्रशासनिक व पुलिस के अधिकारियों से उसने साफ कहा कि न्याय के लिए मैने कलेजे में पत्थर रख लिया है। मुझे आश्वासन नहीं न्याय चाहिए। दोषी पुलिसकर्मी को गिरफ्तार करो।
बंधवा गांव में जन्मा मनीष किसान का बेटा था। आर्थिक स्थित मजबूत नहीं होने के बावजूद माता-पिता ने संघर्ष करते हुए उसे सिविल इंजीनियर बनाया। इंजीनियर बेटे से परिवार के बहुत से सपने थे, लेकिन मनीष की चिता के साथ परिवार के सभी अरमान भी जल गए।
सांसद, विधायक और कलेक्टर ने मनीष की हत्या की निष्पक्ष जांच कराने के साथ प्रशासन से अधिक से अधिक आर्थिक मदद दिलाने की बात कही है। वहीं कलेक्टर ने परिवार जनों को आश्वासन दिलाया है कि वह मामले की सीबीआई जांच कराने के लिए तैयार हैं।
घटना को लेकर सबसे बड़ा आरोप पीएसआई शिवा अग्रवाल पर पहले दिन से ही लगाए जाते रहे हैं। प्रथम दृष्टया भूमिका पाए जाने पर एसपी ने निलंबित भी कर दिया है लेकिन परिजन उस पर एफआईआर की भी मांग कर रहे थे। मजिस्ट्रियल जांच में मां, भाईसहित अन्य कईलोगों के बयान दर्जकिए गए हैं।
जिस परिवार के लिए सबसे बड़ी उम्मीद बनकर मनीष पटेल उभरा था, उसकी मौत ने आसपास के लोगों को भी झकझोर दिया। पिछले तीन दिनों से न्याय दिलाने की मांग कर रहे परिजनों के साथ पड़ोस के सात घरों में भी चूल्हा नहीं जला। वहीं परिवार के अन्य सदस्य भी दिन-रात शव के पास ही बैठे रहे।
ललित शाक्यवार, एसपी रीवा