समान तिराहे में अगस्त महीने में एक वृद्ध से कार्ड बदलकर उनके खाते से रुपए निकाल लिये गये थे। इस घटना में एक बाइक सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी जिसकी तलाश की जा रही थी। उक्त बाइक के पुन: रीवा में आने की सूचना पर पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह ने तत्काल सीएसपी शिवाली चतुर्वेदी के नेतृत्व में सभी थानों को अलर्ट कर दिया और सीसीटीवी कैमरे की मदद से पुलिस ने निगरानी शुरू कर दी। सीसीटीवी कैमरे की मदद से समान थाने की पुलिस ने तिराहे के समीप दोनों बदमाशों को पकड़ लिया। जब उनकी तलाशी ली गई तो 30 के लगभग एटीएम कार्ड बरामद हुए। आरोपियों को थाने लाकर पूछताछ की गई तो उन्होंने अगस्त महीने में घटना को अंजाम देना स्वीकार किया है।
पकड़े गए आरोपियों में शिवम सिंह बिसेन पिता सुरेश सिंह 24 वर्ष व रहीम खान पिता हेमराज खान 25 वर्ष निवासी सम्हा थाना हडिय़ा जिला प्रयागराज उ.प्र. के रूप में हुृई है। अगस्त महीने में हुई घटना में शिवम सिंह बिसेन के साथ उसका दूसरा साथी सोनू उर्फ राजीव लोचन पाण्डेय निवासी करसना जिला सतना के साथ अंजाम दिया था जो अभी फरार है। पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ कर एटीएम फ्राड से जुड़ी अन्य घटनाओं की जानकारी ले रही है।
उक्त आरोपी बेहद शातिराना अंदाज से वारदात को अंजाम देते थे। उक्त आरोपी एटीएम शीन की बटन दबा देते थे जिससे वह काम नहीं करती थी। उसके बाद एक आरोपी बाहर मोटर साइकिल स्टार्ट करके रखता था और दूसरा अंदर मदद के बहाने कार्ड बदलता और पीडि़त का पिन नम्बर देख लेता। पीडि़त को दूसरा कार्ड पकड़ाकर आरोपी फरार हो जाते थे। अगस्त महीने में जिस व्यक्ति के कार्ड आरोपियों ने बदला उनके खाते से पीटीएस चौराहा स्थित एटीएम बूथ से 5 हजार, 9500 व 5000 रुपए निकाले थे। आरोपी शिवम सिंह बिसेन अपने साथ रहीम खान 28 जनवरी को बहन के घर शहडोल एक वैवाहिक आयोजन में शामिल होने के लिए लेकर गया था और अगले दिन 31 जनवरी को उन्होंने शहडोल के ईको पार्क के आगे एटीएम बूथ में एक बुजुर्ग आदमी को शिकार बनाया था और कार्ड बदलकर उनके खातों से रुपए निकाल लिये।
उक्त आरोपी एक बार बाइक लेकर निकलते थे तो कई राज्य नाप लेते थे। उनके पास से 30 के लगभग एटीएम कार्ड मिले है। इसमें कुछ कार्ड कर्नाटक बैंक के है जो सिर्फ कर्नाटक में ही संचालित है। आरोपी कर्नाटक व केरल तक वारदात को अंजाम देने के लिए गए है। जो शहर रास्ते में पड़ते उनमें किस्मत हांथ साफ कर आगे बढ़ जाते। उनके पास मौजूद कार्डों के संबंध में बैंकों से जानकारी मांगी जायेगी जिसके बाद ही उनके हांथों शिकार हुए पीडि़तों की पहचान हो पायेगी।