रीवा

वेटनरी कॉलेज में भगवान भरोसे इमर्जेंसी स्वास्थ्य सेवाएं, गेट पर घंटों तड़पता रहा बेजुबान

जिले में वेटनरी कॉलेज की ओपीडी में किसान 24 घंटे पहले जन्मे बछड़ा को लेकर पहुंचे थे ओपीडी, चिकित्सक को काल करने के बाद चार घंटे तक परेशान रहा पशुपालक,जूनियर डॉक्टरों के भरोसे कालेज की ओपीडी व्यवस्था

रीवाAug 10, 2020 / 11:48 am

Rajesh Patel

God Trust Emergency Health Services at Veterinary College

rajesh patel IMAGE CREDIT: patrika
रीवा. कोरोना काल के दौरान वेटनरी कॉलेज के अस्पताल में इमर्जेंसी स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे हैं। जूनियर डॉक्टरों के भरोसे ओपीडी की व्यवस्था चल रही है। इलाज के लिए अस्पताल गेट पर घंटो बेजुबान तड़पता रहा। सूचना पर पहुंचे जूनियर डॉक्टर ने सीनियर डॉक्टर को काल किया। घंटों मशक्कत के बाद बेजुबान को इलाज मिल सका तो पशु पालको ने राहत की सांस ली।
वेटनरी कॉलेज के डॉक्टरों के आने-जाने का शेड्यूल नहीं
वेटनरी कालेज में जिले समेत संभागभर से गंभीर पशुओं को इलाज के लिए पशु पालक पहुंचते हैं। कोरोन काल के दौरान सामान्य इलाज की व्यवस्था प्रभावित है। लेकिन, इमर्जेंसी स्वास्थ्य सेवाएं चालू हैं। एक दिन पहले शनिवार की सुबह जिले के रउसर गांव निवासी पशु पालक राम निहोर मिश्रा बछड़े को लेकर पहुंचे। पशु पालक 11 बजे तक डॉक्टरों का इंतजार करते रहे। इस बीच बेजुबान अस्पताल गेट पर तड़पता रहा। बेजुबन को तड़पता देख पशु पालन परेशान रहा। लेकिन, वहां पर मौजूद कर्मचारी नहीं पसीझे। बाद में फोन पर एक जूनियर डॉक्टर 11.20 बजे अस्पताल पहुंचा।
जूडॉ की सूचना के डेढ़ घंटे के बाद पहुंचे डॉक्टर
पशु पालकों ने जूनियर डॉक्टर को बताया कि 24 घंटे पहले बछड़ा जन्मा है। अभी तक मलाशयद्वार बंद है। जिससे बछड़ा बीते दिन से तड़प रहा है। जूनियर डॉक्टर ने बछड़े के मलाशय बंद होने की जानकारी सीनियर चिकित्सकों को दी। करीब दो घंटे बाद सीनियर चिकित्सक भी पहुंचे। जबकि वेटनरी कालेज ने अवकाश के दिन ओपीडी का समय सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक निर्धारित कर रखा है। इसके बावजूद सुबह 11 बजे तक चिकित्सक ओपीडी में नहीं पहुंचे थे। ये कहानी अकेले एक दिन की नहीं बल्कि आए दिन चिकित्सकों समेत अन्य स्टाफ के आने-जाने को शेड्यूल निर्धारित नहीं है। पशु पालकों के पहुंचने के बाद काल किया जाता है।
ढाई घंटे में सफल हुआ आपरेशन
वेटनरी ओपीडी में चिकित्सकों ने बछड़े के मलाशय का आपरेशन किया। चिकित्सकों ने पशु पालक को जानकारी दी कि तीन लेयर में कटिंग के बाद मलाशय द्वारा खुला है। आपरेशन की प्रक्रिया करीब ढाई घंटे तक चली। पशु पालकों ने बताया कि आपरेशन सफल है। आठ दिन बाद दोबारा बुलाया गया है।
चिकित्सकों ने बाहर से मंगाई दवाएं
ओपीडी में जूनियर डॉक्टर ने इलाज शुरू करने से पहले पशु पालक से बीस रुपए की ओपीडी में पर्ची कटवाई। इसके बाद बाहर से लगभग 700 की दवाएं मंगवाई। पशु पालक के मुताबिक आपरेशन के लिए अलग से पचास रुपए की फीस जमा कराई गई।

प्रतिदिन 10-12 जानवर पहुंचे
प्रतिदन एक दर्जन जानवर कोरोना काल के दौरान वेटनरी कालेज की क्लीनिक में प्रतिदिन औसत 10-12 जानवर पहुंचते हैं। जिसमें गाय, बछड़ा, भैंसा, डॉगी, बिल्ली, समेत अन्य प्रजाति के पशु इलाज के लिए पहुंचते हैं।

वर्जन…

अगर ऐसा है तो जांच कराएंगे। अब आगे से ऐसी नहीं होने देंगे। ओपीडी में इमर्जेंसी सेवा के लिए डॉक्टरों का शेड्यूल निर्धारित किया गया है। अवकाश के दिन भी तीन घंटे तक ओपीडी चलती है।
डॉ. एसएस तोमर, डीन, वेटनरी कालेज , रीवा
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