विश्वविद्यालय के पं. शंभूनाथ शुक्ल सभागार में कुलपति प्रो. केएन सिंह यादव की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि अतीत को पढ़ो, वर्तमान को गढ़ो, फिर आगे बढ़ो। अतीत पर विशेष गौर करने की सलाह देते हुए कहा कि शिक्षा के परिदृश्य में हमारे देश का अतीत बहुत गौरवपूर्ण रहा है। इसलिए अतीत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
प्राध्यापकों को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि उन्हें केवल किताबों के सिलेबस में उलझाकर न रखें। उन्हें ऐसी शिक्षा दी जाए, जिससे छात्रों के व्यक्तित्व का विकास हो। छात्र केवल डिग्री प्राप्त करने की मशीन न बने। छात्रों के विकास में उन्होंने मोबाइल व सोशल साइट को सबसे बड़ी बाधा बताया। कहा कि यह उनके लिए एटमबम के समान है। छात्रों में बढ़ रहा एकांगीपन और दुराचार की घटनाओं के लिए भी उन्होंने मोबाइल को ही जिम्मेदार बताया। हालांकि बाद में जब उनसे पत्रकारों की ओर से यह पूछा गया कि कॉलेजों में फिर क्यों मोबाइल बांटा जा रहा है तो उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है। मोबाइल का दुरुपयोग न हो, इसके लिए छात्रों को नैतिक शिक्षा दी जानी चाहिए।
कार्यक्रम में उद्योग मंत्री राजेंद्र शुक्ल व विधायक दिव्यराज बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। शिक्षाविद् के रूप में डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरपी तिवारी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्ववविद्यालय अमरकंटक के प्रो. टीपी कट्टिमणि, जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलपति प्रो. योगेश चंद्र दुबे व पं. शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय शहडोल के कुलपति डॉ. मुकेश तिवारी उपस्थित रहे। मौके पर इसके अलावा विंध्य विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष सुभाष सिंह, कुलसचिव लाल साहब सहित अन्य प्राध्यापक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. दिनेश कुशवाहा ने किया। शुरुआत में कुलपति ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। साथ ही विश्वविद्यालय की विकास गाथा की डाक्यूमेंट्री दिखाई गई।
उद्योग मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि विश्वविद्यालय को सरकार से बहुत कुछ मिला है। अभी काफी कुछ मिलना बाकी है। आगे की उम्मीद को बल मिलेगा, जब पीछे की यादें ताजा की जाएगी। अब तक विश्वविद्यालय को जो मिला है, उससे अधिकारियों को यह भरोसा हो जाएगा कि आगे भी बहुत कुछ मिलने वाला है। उद्योग मंत्री ने कहा कि स्थापना दिवस के आयोजन का उद्देश्य यह है कि विश्वविद्यालय के लोग इस पर मंथन करें कि अब तक उनकी ओर से क्या किया गया। उसी के मद्देनजर भविष्य की योजना बनानी चाहिए।
डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के कुलपति प्रो. आरपी तिवारी ने कहा कि वर्तमान समय की मांग विश्वविद्यालयों में नवाचार की है। अध्ययन-अध्यापन का कार्य केवल रोजगार प्राप्त करने तक सीमित नहीं होना चाहिए। विश्वविद्यालयों को अब इस पर ध्यान देना होगा कि उनकी ओर से समाज के लिए क्या किया गया है और क्या किया जा सकता है। साथ ही कहा कि स्थापना दिवस का आयोजन खुद के कार्यों का अवलोकन और समीक्षा करने के लिए किया जाता है। कुलपति प्रो. तिवारी ने एपीएस विवि के कार्यों व प्रगति की सराहना की गई।
उच्च शिक्षा मंत्री ने मुख्य कार्यक्रम से पहले एमबीए विभाग में एमबीए भवन के प्रथम तल व जैव प्रौद्योगिकी भवन का लोकार्पण और कंप्यूटर एप्लीकेशन भवन व इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज भवन का शिलान्यास किया। साथ ही उनके नए प्रस्तावित भवनों का शिलान्यास करते हुए मंत्री ने कहा कि वह विश्वविद्यालय की उत्तरोत्तर प्रगति के लिए ढेरों कार्य करेंगे।
कार्यक्रम में अतिथियों की ओर से स्वर्ण जयंती पार्क में पौधरोपण के साथ विवि की पत्रिका प्रतिबिंब व विंध्यभारती का विमोचन किया गया। पत्रिकाएं प्रो. एपी मिश्रा व प्रो. विजय अग्रवाल के निर्देशन में संपादित की गई है। जिसमें विश्वविद्यालय की विकास प्रक्रियाओं सहित शोध कार्यों का विवरण है।
कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों, प्राध्यापकों व कर्मचारियों के साथ मेधावियों को सम्मानित किया। हालांकि इस मौके पर अतिथियों और सम्मानित होने वालों की संख्या अधिक होने के चलते स्मृति चिह्न कम पड़ गई। जिससे विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों में भारी आक्रोश रहा है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने मंच से वादा किया कि वह पीएचडी की प्रवेश प्रक्रिया में एलायड विषय को भी शामिल कराएंगे। उन्होंने कहा कि एलायड विषय के छात्र संबंधित मूल विषयों के प्राध्यापकों के निर्देशन में शोध कार्य करेंगे। जल्द ही एलायड विषय के छात्रों को भी पीएचडी प्रवेश में शामिल होने का मौका मिलेगा।
अतिथि विद्वानों के मानदेय में बढ़ोत्तरी के विषय पर उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह विश्वविद्यालय प्रशासन का निर्णय है। वैसे कॉलेजों के लिए उच्च शिक्षा विभाग की ओर से मानदेय में बढ़ोत्तरी का आदेश जारी किया जा चुका है। इस मामले में उच्च न्यायालय का आदेश है।