एफआइआर में दर्ज शिकायत के मुताबिक राजन वर्मा ने वर्ष 2016 में सफारी वाहन के लिए 12 लाख रुपए फाइनेंस कराया था। जिसकी महीने में 26 हजार रुपए किश्त निर्धारित की गई थी। किश्त जमा करने के बाद शेष राशि 7.60 लाख रुपए बीते साल नवंबर में एक साथ भुगतान कर दिया था। इस पर बैंक से एनओसी मांगी तो पहले कई दिनों तक टरकाया गया। इसके बाद मुंबई से फोन आता रहा कि किश्त बाकी है, जब बैंक जाकर पता किया तो असिस्टेंट मैनेजर राजेश यादव ने कहा कि किश्त जमा है, जल्द ही एनओसी दे देंगे। कुछ दिन पहले एनओसी बैंक से दी गई लेकिन वह उत्तर प्रदेश के नंबर के वाहन की थी। बैंक कर्मचारियों ने नंबर शिकायतकर्ता की गाड़ी का लिख दिया था।
बैंक कर्मचारियों ने मिलकर ग्राहक के साथ दोहरी धोखाधड़ी की। पहले तो उनके द्वारा दिए गए 7.60 लाख रुपए किश्त के जमा ही नहीं किए और फिर बैंक में लिमिट खाते से 3.86 लाख रुपए भी आहरित कर लिया। भोपाल आफिस से फोन आया तो बंैंक जाकर पूछा, जहां आरोपी राजेश यादव ने कहा कि किसी ने गुमराह किया है। सर्वर डाउन है बाद में स्टेटमेंट दे देंगे। बीते 17 अक्टूबर को फिर से भोपाल से फोन आया कि लिमिट खाते से ४.३६ लाख रुपए का उपयोग किया गया है। ब्याज सहित राशि जमा की जाए। बैंक पहुंचकर फिर जानकारी ली तो कर्मचारियों ने गुमराह करने का प्रयास किया। 19 अक्टूबर को जब पुलिस के पास जाने की बात कही तो असिस्टेंट मैनेजर राजेश यादव ने 9.71 लाख रुपए खाते में वापस करते हुए अपनी गलती स्वीकार की और फिर से वाहन की किश्त पूरी होने की एनओसी दे दी। 20 अक्टूबर को दोपहर जब फिर मैसेज आया कि खाते से रुपए काटा गया है, इसलिए एसपी आफिस पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। एसपी ने तत्काल सिविल लाइन थाना प्रभारी को एफआइआर दर्ज करने का निर्देश दिया।
वाहन का किश्त जमा नहीं होने और लिमिट खाते से राशि आहरित होने संबंधी हेड आफिस से फोन ग्राहक राजन वर्मा के पास आते रहे, जिस पर वह असिस्टेंट मैनेजर से मिलने जाते तो वह हर बार यही कहता कि इस तरह के फर्जी काल पर ध्यान नहीं देना चाहिए।