कोरोना काल में जब लोग घरों के बाहर नहीं निकलते थे, उस दौरान रंजना करीब सात किलोमीटर से अधिक पैदल चलकर अपने क्षेत्र में पहुंचती थी।
करीब 11 वर्षों से बतौर आशा कार्यकर्ता के रूप में सेवाएं दे रही रंजना ने बताया कि जिस तरह से आने-जाने की समस्या है, उससे शुरुआत में काम करने की इच्छा नहीं हो रही थी लेकिन जब गांव में लोगों के बीच पहुंची और देखा कि यहां बड़ी समस्याएं हैं तो अपनी समस्या भूलकर उनकी सेवा में जुट गई। संचार माध्यमों की कमी की वजह से चित्रों और पोस्टर के जरिए स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी गांव की महिलाओं और बच्चों तक पहुंचाई जा रही है।
सोशल मीडिया में पोस्टर के चित्र पोस्ट करने के बाद अमेरिका की संस्था एनपीआर डाट ओआरजी ने रंजना के बारे में अध्ययन किया और पाया कि कोरोना काल में लोगों को जागरुक करने के मामले में वह दुनिया की प्रभावशाली १९ महिलाओं में एक हैं। वासिंगटन डीसी के नेशनल पब्लिक रेडियो में यह कहानियां प्रकाशित हुई तो दुनिया भर में रीवा जिले की रंजना द्विवेदी को लोगों ने जाना।
रंजना के कार्यों की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायी है। घर से निकलकर करीब सात किलोमीटर पैदल पथरीली और पहाड़ी क्षेत्र में चलना, साथ में नदी पार करना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। इतनी ही दूरी वह वापस लौटने के लिए भी तय करती हैं। रंजना बताती हैं कि कई बार वह पथरीले रास्ते में चलते समय गिरकर चोटिल हो चुकी हैं। साथ ही नदी में नाव भी पलट चुकी है, लेकिन तैराकी जानने की वजह से वह नदी में बच गई।