– स्वान प्रजाति के जानवरों से आता है वायरस
केनाइन डिस्टेंपर नाम का वायरस स्वान प्रजाति के जानवरों से फैलता है। कुत्तों, सियार, लोमड़ी सहित अन्य प्रजाति के जानवरों में इनदिनों यह तेजी से फैल रहा है। जानकारों की मानें तो जानवर के शरीर में प्रवेश करने के दस से १५ दिन के बाद ही इसका असर समझ में आता है। जिसमें जानवरों का नर्वस सिस्टम कमजोर पडऩे लगता है। दस्त एवं खून आने की शिकायतें मिलती हैं। इसके बाद से यह इतना तेजी के साथ फैलता है कि नियंत्रित कर पाना मुश्किल होता है और यह जानलेवा बन जाता है।
– वर्तमान में नौ बाघ और दो लायन हैं
महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव चिडिय़ाघर मुकुंदपुर में वर्तमान में नौ बाघ एवं दो लायन हैं। जिसमें चार सफेद बाघ हैं, दो ह्वाइट टाइगर सफारी में छोड़े गए हैं और दो चिडिय़ाघर के बाड़े में रहते हैं। इसी तरह सामान्य बाघों की संख्या इनदिनों पांच पहुंच गई है। दो औरंगाबाद से लाए गए थे। तीन रेस्क्यू कर यहां उपचार के लिए लाए गए थे, जिनकी सेहत में सुधार है। एक बांधवगढ़ नेशनल पार्क और दूसरा सिवनी के जंगल में ग्रामीणों के हमले से जख्मी होने के बाद लाया गया है। एक अन्य कटनी जिले के बरही के पास कुएं में गिर गया था, जिसे मुकुंदपुर में ही रखा गया है। इसके साथ ही बिलासपुर से लायन का एक जोड़ा लाया गया था।
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केनाइन डिस्टेंपर वायरस दूसरे प्रदेशों में फैलने के चलते हम भी सतर्क हैं। साल में एक बार एंटी वायरस इंजेक्शन लगता है, जो सभी बाघों को लगाया जा चुका है। चिडिय़ाघर में आशंका इसलिए कम होती है कि यहां के जानवरों का बाहरी जानवरों से संपर्क नहीं होता है।
डॉ. राजेश सिंह तोमर, चिकित्सक मुकुंदपुर चिडिय़ाघर