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Loksabha election 2019 Mudda : रीवा के लोग इन मुद्दों पर डालेंगे वोट, नेताओं की बढ़ेगी मुश्किल

सरकार चाहे भले भूल जाए, हमें पांच साल पहले के वादे अब भी याद हैं- शहर के अलग-अलग हिस्सों के लोगों ने स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय मुद्दों पर भी होगी वोटिंग- अधिक से अधिक संख्या में वोट करने के पक्ष में हैं लोग

रीवाMar 16, 2019 / 04:19 pm

Mrigendra Singh

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Loksabha election 2019 public mudda

रीवा। लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों के ऐलान के साथ ही आदर्श आचार संहिता भी प्रभावी हो गई है। अब लोग केन्द्र सरकार के बीते पांच वर्षों के कार्यों का लेखाजोखा तैयार कर रहे हैं। पत्रिका ने लोगों से चर्चा कर इस बार चुनाव में हावी रहने वाले मुद्दों के बारे में जाना। अधिकांश लोगों ने कहा है कि पांच साल पहले जो वादे किए गए थे, वे कितना पूरे हुए इस पर हमारी पूरी नजर है। सरकार बनने के बाद नेता चाहे भले ही भूल गए लेकिन जनता को सबकुछ याद है। कुछ अच्छे कार्य भी हुए हैं, जिनका सीधा फायदा सत्ताधारी दल को हो सकता है। पूर्व पार्षद सोहन सिंह कहते हंै कि रीवा जिले में रोजगार के संसाधन नहीं बढ़े, यहां के युवा दूसरे शहरों में जा रहे हैं। सांसद ने क्या किया, यह भी लोगों के मन में है। राष्ट्रीय मुद्दे भी जनता के मन में हैं। समाजसेवी कौशलेश मिश्रा ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में तमाम बड़े वादे किए गए, ये कितना पूरा हुए हैं यह लोग समझ रहे हैं। देश का भला हर कोई चाहता है लेकिन दिखावे के राष्ट्रवाद पर वोट लेने हर बार संभव नहीं है। राममंदिर, रोजगार, कालाधन, भ्रष्टाचार सब पर पूछा जाएगा कि क्या हुआ। कुछ कार्य जरूर किया है, यह कोई भी सरकार होती तो करती। बिहारीलाल पटेल का कहना है कि बड़ी उम्मीद के साथ मोदी के नाम पर वोट लोगों ने किया लेकिन इन्होंने भरोसे को तोड़ दिया है। संजय तिवारी ने कहा कि किसानों के नाम पर चुनाव तो लड़े जाते हैं लेकिन सरकार बनने के बाद लोग भूल जाते हैं। प्रदेश में नई सरकार बनी है इसने जरूर किसानों के हित में काम किया है लेकिन केन्द्र सरकार बड़े व्यवसाइयों को लाभ पहुंचाने में जुटी रही। नागेन्द्र सिंह गहरवार ने कहा है कि सब एक जैसे हैं, चुनाव जीतने के बाद कोई ध्यान नहीं रखता है। इसी वजह से देश आज भी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। इनके लिए कोई चर्चा नहीं होती। यह भी जनता के मन में अब बात बैठ रही है। चंद्रशेखर वर्मा कहते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में बीते कई वर्षों से कोई बड़ा प्रयास नहीं हुआ है। बेरोजगारी भी बढ़ रही है, युवाओं के मन में आक्रोश है। रामशरण कोरी का कहना है कि पिछले चुनाव में गरीब तबके ने भरोसा जताया था लेकिन उसके लिए काम नहीं हुए हैं।
– पाकिस्तान को जवाब देने से लोग खुश
आतंकवाद पर कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान को जवाब देने का भी काम किया गया है। चुनाव में यह भी मुद्दा हो सकता है। प्रदुम्न सिंह बघेल का कहना है कि पहली बार पाकिस्तान को तल्ख लहजे में सबक सिखाया गया है। गरीबों के लिए आवास, स्वास्थ्य सहित अन्य कई व्यवस्थाएं दी गई हैं। पियूष मिश्रा ने कहा कि भ्रष्टाचार पर नकेल के साथ ही स्वच्छ भारत अभियान ने देश में बड़ा बदलाव लाया है। केदार यादव कहते हैं कि आंतरिक व्यवस्थाएं बनाने के साथ ही सरकार की विदेश नीति बेहतर रही है, इसलिए फिर से उसी सरकार को अवसर मिलना चाहिए।

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